लापरवाही: जाँच में देरी के कारण 1.10 करोड़ रुपए की दवाएँ हुई बर्बाद
रांची. स्वास्थ्य विभाग द्वारा पिछले साल श्रावणी मेले के दौरान खरीदी गई 1.10 करोड़ की 24.71 लाख एमोक्सीलिन टैबलेट (एंटीबायोटिक) एक्सपायर होने वाली है। इस दवा की सप्लाई मार्च 2017 में हुई थी। मुलतान लैब में जांच में इसे सब स्टैंडर्ड बताया गया।बाद में केंद्र सरकार की ड्रग टेस्टिंग लेबोरेटरी (सीडीएल) ने दवा को गुणवत्तापूर्ण बताया। जांच में दो साल लग गए। यह दवा नहीं बंट पाई और अब इसकी एक्सपायरी डेट आ गई। अब स्वास्थ्य अधिकारियों ने दवा कंपनी को दवा बदलकर नई दवा देने को कहा। लेकिन कंपनी ने साफ इनकार कर दिया। स्कॉट एडिल चंडीगढ़ के प्रतिनिधि कृष्णकांत ने कहा कि दवाओं की गुणवत्ता सही है। कंपनी की ओर से सप्लाई के दौरान ही इसका सर्टिफिकेट दिया गया था। सीडीएल जांच में भी इसकी पुष्टि हुई है। एेसे में दवा नहीं बदली जा सकती। कंपनी को भुगतान किया जाना चाहिए।
चंडीगढ़ की कंपनी से खरीदी थी दवा : झारखंड मेडिकल एंड हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एंड प्रिक्योरमेंट कारपोरेशन ने चंडीगढ़ की दवा कंपनी स्कॉट एडिल फार्मासिया लि. को एमोक्सीलिन टैबलेट की सप्लाई का टेंडर दिया था। कंपनी ने दवा की सप्लाई कर दी। टेस्ट रिपोर्ट (टीएल और इनहाउस) जमा किया। कंपनी ने पांच बैच की दवा सप्लाई की थी। इन सभी बैच की दवा को मुलतानी लेबोरेटरी ने सब स्टैंडर्ड बता दिया था। इसके लिए जिम्मेदार कौन हैं और क्या कार्रवाई होगी, इस पर कोई कुछ साफ बोलने को तैयार नहीं है। जो दवाएं मुलतान लैब में सब स्टैंडर्ड (स्पूरियस) बताई गई, वहीं दवाएं भारत सरकार की लेबोरेटरी में स्टैंडर्ड कैसे हो गई। ऐसे में यह सवाल है कि दवाओं की जांच में कहीं न कहीं गड़बड़ी की जा रही है।
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