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यातायात नियमों को सिखाने वाले, ट्रिपल लोडिंग के साथ खुद तोड़ रहे कानून

बिना हेलमेट खुद निकाल रहे कानून की हवा

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यातायात नियमों को सिखाने वाले, ट्रिपल लोडिंग के साथ खुद तोड़ रहे कानून

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार की सड़कों पर बिना हेलमेट लगाए अगर कोई व्यक्ति गुजर जाता है तो”सुशासन” के नाम पर पुलिस सख्ती करती है और जुर्माना भी वसूलती है। जबकि यहां की सड़कों पर खुद पुलिस प्रशासन के लोग बिना हेलमेट के ही बाइक चलाते हैं। और तो और, ट्रिपल लोडिंग कर वाहन चलाने के मामले में भी बिहार पुलिस पीछे नहीं है। बिहार पुलिस खुद यातायात नियमों की धज्जियां कैसे उड़ाती है, इसकी सच्चाई जानने के लिए किसी सबूत की जरुरत नहीं, यह नजारा मधुबनी के सड़कों पर देखने को मिल जायेगा. तस्वीरों में मनमानी देखिए कि किस तरह खुद पुलिस का जवान ट्रिपल लोडिंग कर बेखौफ होकर एक अभियुक्त को न्यायिक हिरासत में ले जा रहा है। यह तस्वीर इस पत्रकार ने बेनीपट्टी थाना के जगत चौक से गुजरते वक्त अपने कैमरे में कैद कर लिया। बाइक का नम्बर है-बी आर 32F 4166 ..तीसरी तस्वीर मधुबनी जिला के जयनगर की है। यहां भी पुलिस के जवान बिना हेलमेट ट्रिपल लोडिंग कर कानून को औकात में रहने की नसीहत दे रहे हैं। चौथी तस्वीर पटना की है। यहां की सड़कों पर बिना हेलमेट सिगरेट का धुआं उड़ाते पुलिस के जवान इस कदर मनमानी कर रहे हैं,मानों उनके लिए कोई कानून है ही नहीं। बाएं हाथ में सिगरेट लिए राजधानी की सड़कों पर यह नजारा क्या कहता है? पांचवीं तस्वीर भी बिहार पुलिस की है। बिना हेलमेट ड्यूटी पर जाते वक्त की यह तस्वीर क्या बिहार में सुशासन होने के दावों पर सवाल नहीं खड़े करती?आए दिन वर्दी का रोब दिखाकर वगैर हेलमेट वाले के साथ सख्ती के साथ पुलिस बर्ताव करती है और जुर्माना वसूलती है। कानून तो सबके लिए एक होता है। जनता भी यही उम्मीद करती है कि बिना किसी भेदभाव के कार्रवाई हो। ऐसे में बड़ा सवाल यह कि ट्रैफिक नियमों को तोड़ने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती है? सच तो यह है कि वाहन चेकिंग को यहां की पुलिस ने अवैध वसूली का जरिया बना लिया है।बिना हेलमेट वाला पुलिस का जवान आम लोगों को बिना हेलमेट के वाहन चलाने से कैसे और किस नैतिकता के बल पर रोकता है? ट्रिपल लोडिंग के नाम पर चालान क्यों काटा जाता है? जब पुलिस के जवान ही खुद ट्रिपल लोडिंग कर यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाते दिखते हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह कि क्या बिहार के डीजीपी और मधुबनी एसपी अपनी ही पुलिस के खिलाफ कार्रवाई कर आम लोगों में यह भरोसा पैदा कर सकेंगे कि बिहार में कानून का राज सबके लिए बराबर है?

मधुबनी से दीपक कुमार ठाकुर की रिपोर्ट

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