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प्यार, धोखा और महिला थानेदार की गुंडागर्दी

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सिटी पोस्ट लाइव :कहते हैं प्यार की कोई भाषा नहीँ होती| प्यार में लोग एक दुसरे की खुशी, दुःख,दर्द सब समझते हैं| लेकिन जब आप जिसपे सबसे ज्यादा विश्वास करते हैं वही आपकी जिन्दगी में मुश्किलों और जिल्लत का सबब बन जाये तो उसे आप क्या कहेंगे? प्यार ?

जितनी रफ़्तार से ये शहर चलता है उतनी ही थमी थमी सी है जिन्दगी औरंगाबाद की एक लड़की की जो हर रोज इंतज़ार कर रही है किसी के लौट आने का| यह कहानी है औरंगाबाद जिले की एक लड़की जो पटना में रहकर पढ़ाई करती थी पढ़ाई के दौरान ही औरंगाबाद के एक लड़के से सम्पर्क हुआ,जो एयरफोर्स में कार्यरत है। धीरे धीरे दोस्ती बढ़ी और फिर मिलने का सिलसिला शुरू हो गया। लड़का जब छुट्टी में पटना आया तो बीमारी का बहाना बनाकर लड़की को मिलने के लिए जक्कनपुर के एक गेस्ट हाउस में बुलाया जहाँ दोनों ने भाई बहन के रूप में रजिस्टर में नाम पता दर्ज करवाया । वहां लड़के ने जबरन लड़की से दुष्कर्म किया और उसके बाद से बार-बार ब्लैकमेल कर कभी होटल तो कभी लड़की के किराए के रूम पर आकर दुष्कर्म करता रहा । जब बदनामी और उत्पीड़न से तंग आकर लड़की ने केस करने या फिर जान देने की बात की तो लड़के ने लड़की के मांग में सिंदूर भर दिया और लड़की के रूम पर ही शादी कर ली। छुट्टी खत्म होते ही लड़का बेंगलोर चला गया। वहां जाते ही लड़का बिल्कुल बदल गया| उसके व्यव्हार में काफी बदलाव आ गया| वह ना ही लड़की को से बात करता था और ना ही उसका फ़ोन उठाता था|लड़की ने जब लड़के के घरवालों से सम्पर्क किया तो पता चला कई लड़के शादी दूसरी जगह हो रही है और यहाँ तक की तिलक दहेज भी मिल चुका है। लड़के के घरवालो ने कहा कि अब लड़के को उस से कोई मतलब नही है इसलिए वो उसे अब परेशान ना करे| लेकिन लड़की ने हिम्मत नहीं हारी और न्याय की आस में मार्च महीने में महिला थाना गई जहा से उसे डांट –डपट कर भगा दिया गया । इसके साथ ही लड़की जो आवेदन लिख कर गई थी उसे भी ले लिया गया। जब कुछ वकीलों के द्वारा महिला थाना में पूछताछ हुई कि मैडम FIR  क्यो नही दर्ज किया जा रहा है तब महिला अधिकारी ने जांच की बात कही।इसके बाद एक हफ्ते दौराने के बाद 29 मार्च को एंट्री की गई और लड़के को नोटिस भेजा गया । नोटिस की तिथि को लड़का या उसके पिता नही आये बल्कि एक बहनोई आये जो बिहार पुलिस से जुड़े हुए हैं| उस दिन भी थानेमें लड़की को ही गलत साबित करते हुए डांट फटकार लगाई गई  और महिला अधिकारी ने कहा कि होटल में बहन भाई बनकर क्यो गई थी, तुम्हारी भी जांच होगा तुम भी चरित्रहीन हो। इसके बाद कोई करवाई नही हुई और मामला ठंढे बस्ते में डाल दिया गया। जब महिला अधिकारी और की ही सोच और रवैया ऐसा होगा तो कोई कैसे न्याय की अपेक्षा कर सकता है|

 

इतना कुछ होने के बाद भी लड़की ने हार नहीं मानी और 6 अप्रैल को पुनः आवेदन लेकर थाना पहुंची जहां तो महिला अधिकारी ने आवेदन लेने और बलात्कार की धारा में केस दर्ज करने से मना कर दिया। अगले दिन जब पटना उच्च न्यायालय के कुछ अधिवक्ताओं ने पुनः प्रयास किया तब थाना ने सनहा तो दर्ज किया लेकिन आवेदन को दुबारा थाने में लिखवाया गया जिसका विषय वस्तु मूल विषय से अलग था| सनहा दर्ज करने के बाद लगातार लड़की FIR दर्ज करने के लिए थाने के चक्कर लगाती रही लेकिन थानाध्यक्ष ने मामला दर्ज नहीं किया| कभी लड़की के चरित्र तो कभी उसके आवेदन में कमी निकाल कर लड़की को डराती रही। जब महिला थाने ने कोई संज्ञान नहीं लिया तब लड़की ने 16 अप्रैल को एसएसपी साहब के कार्यालय में आवेदन दिया गया| केस दर्ज होने की कोई उम्मीद न देखते हुए पुनः कुछ अधिवक्ताओं के प्रयास से लड़की एसएसपी मन्नू महाराज से मिलने गई जहां एसएसपी साहब ने तुरन्त महिला थाना को आदेश दिया कि FIR दर्ज किया जाये| उसके बाद भी लड़की रोज महिला थाना जाकर 4 घण्टे बैठती रही लेकिन महिला थानाध्यक्ष ने कोई करवाई नही की| महिला अधिकारी लड़की को धमकाती रही कि “एसएसपी साहब के यहां जा रही हो न केस दर्ज भी हो जाएगा तो क्या गिरफ्तारी जांच हो जाएगी वो मेरे ही जिम्मे रहेगी सोच लेना”|

 

इसी बीच एक नई बात पता चली की 30 अप्रैल को लड़के की शादी है और इसलिए महिला थानाध्यक्ष किसी भी हालत में 30 अप्रैल से पहले फिर दर्ज नही करेगी। इसके बाद अधिवक्ताओं ने थानाध्यक्ष को सम्पर्क किया जिनसे बहुत ही गलत तरीके से बात की गई । मुख्य रूप से अधिवक्ता कासिफ को काफी कुछ कहा गया, हॉट टॉक हुई और महिला अधिकारी ने बाद में लड़की को डांटा की वकील से फोन करवाती हो, रुको इसको स्टेशन डायरी में दर्ज करती हूं,सिखाती हूँ वकील साहब को| इसके बाद भी FIR ना दर्ज होने पर पुनः कुछ वकील और लड़की ने मिल कर पटना उच्च न्यायालय के जनहित याचिका के एक्सपर्ट मणिभूषण सेंगर से सम्पर्क किया। मणिभूषण सेंगर जी ने खुद कई अधिकारियों से बात की और एसएसपी साहब से भी बात किया जिसके बाद 22 अप्रैल को लड़की को थाना बुलाया गया तथा शाम में FIR दर्ज की करने कि बात कही गई| लेकिन उस दिन भी फिर दर्ज नहीं की गई| २३ अप्रैल को चौतरफा दबाव बना कर बार-बार जब वकीलों ने एसएसपी साहब को फोन करना शुरू किया तब जाकर शाम 6 बजे  FIR किया गया लेकिन अभी तक फिर कि कॉपी लड़की को नहीं दी गई है| एसएसपी के आदेश के बाद भी महिला थानाध्यक्ष ने अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया है। कुछ दिनों पहले जब सिटी पोस्ट लाइव के पत्रकार कंचन पार्वती ने जब महिला थाना फोन कर कुछ जानकारी लेनी चाही तो उसके खिलाफ स्टेशन डायरी एंट्री कर ली गई| पुलिस की कार्यप्रणाली से क्षुब्ध अधिवक्ताओं ने इस मामले में क्रिमिनल रिट दायर करने की बात कही है। लेकिन बात यहाँ यह है कि जिस FIRको दर्ज करने में थाने ने इतना समय लगा दिया तो क्या वहां से न्याय कि उम्मीद की जा सकती है| जब न्याय व्यवस्था और कानून ही ऐसा ढीला रैवैया अपनाएगा तो लोगो का इस कानून व्ययवस्था से भरोसा ही उठ जायेगा और ऐसा पहली बार नहीं हुआ है| ऐसे बहुत सारे मामले हैं जहां पुलिस अधिकारी का ऐसा व्यव्हार देखने को मिलता है| ऐसे में न्याय की उम्मीद में आये लोगो को सिर्फ निराशा ही हाथ लगती है| जरुरत है सोच को बदलने की, जरूरत है न्याय व्यवस्था में बदलाव लाने की और बेहतर मोनिटरिंग करने की|

 

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