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बड़ा खुलासा : 14 साल के बच्चे को बिना सुपरवीजन के ही पटना पुलिस ने कर दिया चार्जशीट !

शब्जी विक्रेता के नाबालिक बेटे को पटना पुलिस ने साबित कर दिया खूंखार अपराधी ,शाजिषकर्ता

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SUPER EXECLUSIVE

सिटी पोस्ट लाईव : पटना  पुलिस को मुफ्त में  सब्जी नहीं देने पर नाबालिग सब्जी बिक्रेता पंकज कुमार को जेल भेंज देने के मामले की जांच कर रहे आईजी नैय्यर हसनैन को एक ऐसा सबूत अपनी ही पुलिस के खिलाफ हाथ लगा है, जिसको जानकर आपके रोंगटे खड़े जायेगें. नाबालिग सब्जी बिक्रेता पंकज कुमार के खिलाफ पटना पुलिस द्वारा अगमकुंआ थाने में कांड संख्या 191 /18 ,192 /18 और बाईपास थाना कांड संख्या 87 /18 दर्ज किया  है.सभी ईन तीनों कांड में  पुलिस ने संगीन धाराएं लगाई हैं. पंकज पर, लूट की साजिष रचने और  डकैती करने का आरोप लगाया गया है.इतना ही नहीं बल्कि उसका  अपराधिक इतिहास भी बताया गया है.

सबसे बड़ा सवाल क्या 14 साल का शबी बेचनेवाला यह बच्चा शातिर अपराधी था. क्या पुलिस इस इस शातिर अपराधी से ही रोज मुफ्त की शब्जी वसूलती थी. क्या एक शब्जी बेचनेवाला 14 साल का बच्चा कई अपराधिक बार्दातों को अंजाम देने के बाद भी खुल्लेयाम पुलिस  की नजर के सामने शब्जी बेच रहा था ? .क्या 14 साल का बच्चा इतना शातिर है कि वह बड़ी बड़ी डकैती और अपराधिक बारदातों का शाजिषकर्ता हो सकता है ? अगर 14 साल का इतना खूंखार अपराधी पकड़ा गया तो पुलिस ने प्रेस कांफ्रेंस क्यों नहीं किया ? क्यों नहीं बताया कि उसने 14 साल के एक ऐसे बाल अपराधी को पकड़ा है जो कई बड़े संगीन अपराधिक बारदातों का शाजिषकर्ता है.एक मामूली चोर पकड़ाता  है तो पुलिस मीडिया को बुलाकर तस्वीर खिंचवाती है. फिर क्यों इतने शातिर ,खूंखार अपराधी को पकडे जाने की खबर को छुपा दिया ?

दूसरा सबसे बड़ा सवाल –क्या पुलिस मैन्युअल नहीं कहता कि संगीन धाराओं में दर्ज कांड का प्रवेक्षण यानी सुपरविज़न डीएसपी द्वारा किये जाने का का प्रावधान है ? क्या  सुपरवीजन रिपोर्ट में दिये गये दिशा निर्देश के अनुसार अनुसंधानकर्ता को जांच एवं साक्ष्य इकट्ठा करने के बाद आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने का प्रावधान नहीं है ? मेरी जानकारी के हिसाब से ये सारी बातें जरुरी हैं.इतना ही नहीं अनुसंधानकर्ता को चार्जशीट दायर करने के पूर्व उसके ऊपर अपने वरीय अधिकारियों के साथ विचार विमर्श करना भी जरुरी है .लेकिन सूत्रों के हवाले से जो खबर मिल रही है ,उसके अनुसार तो अनुसंधानकर्ता ने इस मामले का न तो डीएसपी से सुपरविज़न करवाया और ना ही चार्जशीट दायर करने से पहले अपने वरीय अधिकारियों से सलाह मशविरा किया .अगर उसने किया तो बताये कि सुपरविज़न करनेवाला अधिकारी कौन है ? और किसके आदेश से उसने चार्जशीट दायर किया ?

सूत्रों के हवाले से मिल रही सूचना के अनुसार  नाबालिग सब्जी बिक्रेता पंकज कुमार पर दर्ज अगमकुआ थाना कांड संख्या 191 /18 एवं 192 /18 में बिना सुपरवीजन रिपोर्ट के ही अनुसंधानकर्ता ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दिया .जबकि चार्जशीट दाखिल करने से पूर्व अंतिम प्रतिवेदन का अनुमति पुलिस अधीक्षक से प्राप्त करना आवश्यक है.सवाल उठता है क्या इसका मकसद किसी तरह से शब्जी विक्रेता के बच्चे को जेल भेंज देना  नहीं रहा होगा ? इस मामले को  बड़े अधिकारियों के संज्ञान में आने से रोक देना नहीं था ? अनुसंधानकर्ता लाख सफाई दे वह अपने को निर्दोष साबित नहीं कर पायेगा . साफ़ लगता है कि केस के अनुसंधानकर्ता ने अपने घोर अनियमितता की है और सोंची समझी रणनीति के तहत की है . जाहिर है अनुसंधानकर्ता दोषी है और उसका आईजी की जाँच में बच  पाना मुश्किल है.

आईजी नैय्यर हसनैन खान ने इस मामले के सत्यापन के लिए पटना सिटी के तत्कालीन सिटी एसपी हरिमोहन शुक्ल को आज अपने दफ्तर में पूछताछ के लिए तलब किया है . सूत्रों के अनुसार आईजी उनसे ये जानने की कोशिश करेगें कि नाबालिक लडके को जेल भेंजे जाने और उसके खिलाफ चर्जशीट  दायर करने के पहले मामले के अनुसंधानकर्ता ने उनसे विचार विमर्श किया या नहीं.ये मामला उनके संज्ञान में आने दिया गया या नहीं.अगर संज्ञान में आया तो उन्होंने क्या कारवाई की .

गौरतलब है कि  पुलिस ने बीते 19 मार्च को नाबालिग सब्जी बिक्रेता पंकज कुमार को गिरफ्तार किया था और बेऊर जेल भेज दिया था. इसके बाद पंकज के परिजनों ने पुलिस पर आरोप लगाया कि फ्री में  सब्जी नहीं देने पर पुलिस ने झूठा केस बनाकर उसके बेटे को जेल भेज .मामला प्रकाश आने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना के जोनल आईजी नैय्यर हसनैन खां को जांच का आदेश दिए हैं.जांच शुरू भी हो चुकी है.

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