सिटी पोस्ट लाइव, मुजफ्फरपुर : “नाम बड़े और दर्शन छोटे” ये कहाबत वैसे है तो पुराणी, लेकिन इसका नाता बिहार सरकार और बिहार प्रशासन की शराबबंदी कानून के पोल खोलती है. शराबबंदी के वक़्त जो कानून बनाया गया था उसमें थोड़े बहुत संशोधन किये गए थे, फिर भी कानून इतना सख्त की लोगों में डर होनी चाहिए थी. लेकिन इस कानून की धज्जियां आए दिन बिहार के शराब माफिया उड़ाते नजर आते हैं. शराबबंदी के दो साल पूरे हो चुके हैं. इसे प्रभावी बनाने के लिए छह लाख से अधिक छापेमारी की गई. एक लाख से अधिक एफआअार दर्ज किए गए. 1.21 लाख से अधिक गिरफ्तारियां हुईं. राज्य में लगभग 25 लाख लीटर देशी-विदेशी शराब की रिकार्ड बरामदगी भी हुई. शराबबंदी के दौरान अपराध मे कमी के आंकड़े भी अपनी जगह हैं, लेकिन सच यह भी है कि राज्य में शराब तस्करी बिल्कुल नहीं बंद हुई. हर दिन शराब की बड़ी खेप बिहार की शरहदों में घुसती है. कुछ प्रशासन की कमी से बाच जाती है कुछ पकड़ी जाती है.
ताजा मामला मुजफ्फरपुर के अहियापुर थाने की है, जहां गुप्त सूचना के आधार पर अहियापुर पुलिस ने पटियासा जलाल के नजदीक, हरियाणा नंबर की ट्रक से अवैध 150 कार्टन शराब की बड़ी खेप पकड़ी है. बाजार में शराब खपाने के लिए हरियाणा के एक ट्रक में तेल, साबुन के कार्टून के बीच में रख कर मंगवाया गया था. इतने शराब की कीमत लाखों में है. बता दें पूर्ण शराबबंदी के बाद तस्करों ने शराब तस्करी के नये-नये तरीके इजाद किये हैं. शराब को आलू की बोरी, ट्रक की ट्यूब, गैस सिलेंडर, तेल के कंटेनर, डाक गाडियों और एम्बुलेंस का भी इस्तेमाल होता रहा है. लेकिन इस पर प्रशासन रोक लगाने में बिल्कुल नाकाम है.
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