सिटी पोस्ट लाइव: गीतकार और कवि गोपालदास नीरज ने गुरुवार शाम को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान अस्पताल (एम्स) में अंतिम साँस ली. वह 93 वर्ष के थे और लम्बे समय से सीने में संक्रमण की बीमारी से जूझ रहे थे. गोपाल दास नीरज को फिल्म जगत में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिए 70 के दशक में लगातार तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार मिले थे। उनकी माैत का कर्इ बाॅलीवुड सिताराें काे गहरा सदमा लगा है.
गोपालदास नीरज पहले शख्स हैं जिन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने दो-दो बार सम्मानित किया.1991 में पद्मश्री और 2007 में पद्मभूषण पुरस्कार प्रदान किया गया. वहीँ 1994 में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने ‘यश भारती पुरस्कार’ प्रदान किया था. गोपाल दास नीरज को विश्व उर्दू पुरस्कार से भी नवाजा गया था. उनकी प्रमुख कृतियों में ‘दर्द दिया है’ (1956), ‘आसावरी’ (1963), ‘मुक्तकी’ (1958), ‘कारवां गुजर गया’ 1964, ‘लिख-लिख भेजत पाती’ (पत्र संकलन), पन्त-कला, काव्य और दर्शन (आलोचना) शामिल हैं. उनके पुत्र शशांक प्रभाकर ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि, “आगरा में प्रारंभिक उपचार के बाद उन्हें बीते मंगलवार को दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था लेकिन डॉक्टरों के अथक प्रयासों के बाद भी उन्हें नहीं बचाया जा सका.” उन्होंने बताया कि उनकी पार्थिव देह को पहले आगरा में लोगों के अंतिम दर्शनार्थ रखा जाएगा और उसके बाद पार्थिव देह को अलीगढ़ ले जाया जाएगा जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. गोपाल दास नीरज को फिल्म जगत में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिए 70 के दशक में लगातार तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार मिले थे. उनकी ढेर सारी ग़ज़लें और उनके ढेर सारे गीत दीवाने लोगों की ज़बान पर आज भी चढ़ी रहती है. हिंदी सिनेमा के कुछ गीत तो ऐसा लगता है, जैसे जब तक धरती रहेगी, वे गीत अमर रहेंगे. प्रेम पुजारी फ़िल्म में ही एक और गीत है उनका लिखा ‘शोख़ियों में घोला जाए फूलों का शबाब, उसमें फिर मिलायी जाए थोडी सी शराब, होगा यूं नशा जो तैयार… वो प्यार है! प्यार है वो प्यार!!’ कुछ श्रेष्ठ हिंदी गीतों में शामिल है.
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