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लॉकडाउन ने लौटाई खुशियां, 22 साल पहले नाराज होकर घर छोड़ने वाला पुत्र वापस लौटा

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस कोविड-19 को लेकर देश में लागू लॉकडाउन ने जहां एक तरफ पूरे देश को परेशान कर रखा है, आम से लेकर खास लोग घरों में दुबकने को विवश हैं। वहीं दूसरी ओर यह लॉकडाउन चतरा के एक मजदूर परिवार के लिए खुशियों की सौगात लेकर आया है। मां की सुनी आँचल को फिर से गुलजार कर दिया है, जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। वह ऐसे खुश नसीब मां-बाप हैं कि जिनका 22 साल पहले मर चुका बेटा लॉकडाउन के दौरान घर लौट आया है।

परिजनों ने मृत समझ कर धार्मिक नियमों के अनुरूप श्राद्ध भी कर दिया था
दरअसल हैरान कर देने वाली यह कहानी चतरा जिले के सलीमपुर गांव की है। यहां के रहने वाले मजदूर शराफत अंसारी का बेटा अफताब अंसारी 22 साल पहले वर्ष 1998 में अचानक घर से गायब हो गया था। जिसके बाद परिजनों ने काफी खोजबीन की लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। अफताब के 22 पहले गुम हो जाने के बाद परिवार वालों ने उसे मृत घोषित कर धार्मिक नियमों के अनुरूप श्राद्ध कर दिया। ऐसे में वही मरा हुआ बेटा जब गांव के कुछ मजदूरों के साथ 22 साल बाद वापस घर पहुंचा तो उसे जिंदा देख परिजन हैरान थे। पिता यकीन नहीं कर पा रहे थे कि यह उन्हीं का वही बेटा है जिसका 22 साल पहले उन्होंने मृत घोषित कर अंतिम क्रिया कर दिया था। गांव वाले अफताब को देख  हक्के-बक्के रह गए।

केरल में सर्कस बंद होने के सभी साथी वापस लौटे
युवक ने बताया कि वह अपने परिवार से नाराज होकर घर छोड़ कर चला गया था। जिसके बाद वे केरल में रहकर एक सर्कस में काम करने लगा था। इस दौरान वह कई बार अपना घर लौटना चाहा लेकिन परिस्थिति वश न तो लौट सका और न ही परिजनों से संपर्क स्थापित कर सका। लेकिन लॉकडाउन हुआ तो उनके सभी साथी अपने-अपने घर चले गए, ऐसे में उसने भी अपने साथियों से अपना हाल बताया। जिसके बाद स्थानीय पुलिस से सम्पर्क स्थापित कर उसके दोस्तों ने उसे घर भेजवाने की व्यवस्था की। जिसके बाद वह अपने घर वापस आया। आफताब के घर लौटने के बाद परिजनों से लेकर गांव में जश्न का माहौल बना हुआ है। परिजनों के साथ-साथ माता-पिता रब की दुहाई करते नहीं थक रहे हैं। बूढ़े पिता ने कहा उनके बुढ़ापे के लाठी को अल्लाह ने लौटा दिया है। वहीं आफताब भी अपने बीते 22 साल के कष्ट को याद कर मायूस हो जाता है, उसकी आंखें भर आती है। चतरा पहुंचने के बाद आफताब को क्वारंटाइन सेंटर भेज दिया गया, जिसके बाद स्थानीय मुखिया ने उसे उसके घर तक पहुंचाया।

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