सरकारी डॉक्टर की लापरवाही से खतरे में है टीबी मरीज ईकबाल की जान, मदद की गुहार
सिटी पोस्ट लाइव : टीबी के एक मरीज की जान पर सरकारी अस्पताल के डॉक्टर की लापरवाही की वजह से आफत आ गई है. वह जीवन मौत के बीच झूल रहा है लेकिन कोई उसकी मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है. वह स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से लेकर तमाम अधिकारियों से गुहार लगा चूका है लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ है. दरअसल, पटना सिटी के मोहम्मद ईकबाल को UROGENYTLE ( पेशाब की टीबी ) की बीमारी है. ईकबाल कहता है कि यह बीमारी करोड़ों में किसी एक व्यक्ति को होती है. उसका केस बहुत सेंसिटिव है. लेकिन डॉक्टर ने गलत दवा चलाकर उसके केस को इतना बिगाड़ दिया है कि अब आगे का ईलाज कराना उसके बूते की बात नहीं रही.
मोहम्मद ईकबाल को जब UROGENYTLE TB की शिकायत हुई तो उसने एम्स दिल्ली में ईलाज शुरू करवाया. वहां डॉक्टर ने दवा लिख कर ईलाज के लिए उसे पटना के अगमकुआं स्थित सरकारी अस्पताल पटना टीबीडीसी रेफर कर दिया. लेकिन यहाँ दवा खाने के आठ महीने बाद जब हालत ज्यादा ख़राब होने लगी तब वह फिर एम्स गया. एम्स में जांच चल रहा था और इस बीच ईकबाल पटना के टीबीडीसी के डॉक्टरों के संपर्क में भी रहा. पटना टीबीडीसी के डॉक्टर बीके मिश्र ने उसे पटना आकर ईलाज कराने की सलाह दी. फिर वह एम्स से पटना आ गया. यहाँ पर डॉक्टर बीके मिश्र ने बीमारी की गंभीरता को समझे बिना कटेगरी वन की जगह कटेगरी फोर ( MDR) की दवा शुरू कर दी. 10 दिन बाद जब उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ तो MDR यानी कटेगरी फोर की दावा बंद कर कटेगरी वन की दवा शुरू कर दी. ईकबाल का कहना है कि कटेगरी वन की जगह कटेगरी फोर की दवा खाने की वजह से उसका केस बहुत बिगड़ चूका है. अब कटेगरी वन का दवा काम ही नहीं कर रहा और कटेगरी फोर की दवा डॉक्टर शुरू करने को तैयार ही नहीं. यानी मरीज को जब कटेगरी वन की दवा की जरुरत थी डॉक्टर ने कटेगरी फोर की दवा शुरू कर दी और अब जब कटेगरी फोर की दवा की उसे जरुरत है, उसे कटेगरी वन की दावा दी जा रही है.
ईकबाल का आरोप है कि कटेगरी वन की जगह कटेगरी फोर की दवा गलती से शुरू कर देने की वजह से VACTARIA और भी मजबूत हो गया है. अब कैगरी वन की दवा कोई असर ही नहीं कर रहा. और डॉक्टर जो गलती कर चुके हैं अब अपनी गलती छिपाने के लिए कटेगरी फोर की दवा लिखने को तैयार ही नहीं. जब ईकबाल ने गुरु गोविन्द सिंह हॉस्पिटल के डॉक्टर से संपर्क किया तो उसने कहा कि गलत दवा पहले दिए जाने की वजह से केस बिगड़ चूका है. अब कटेगरी फोर की ही दवा चलाना पड़ेगा. कटेगरी फोर की दवा हॉस्पिटल में तभी मिलेगा जब डॉक्टर बीके मिश्र लिखेगें. लेकिन वो अब दवा बदलने को तैयार नहीं हैं. ईकबाल का कहना है कि डॉक्टर के अनुसार उसका केस इतना बिगड़ चूका है कि उसे रोबोटिक सर्जरी करना पड़ेगा जिसमे 7 लाख से ज्यादा का खर्च आएगा.
ईकबाल परेशांन है ,उसे कटेगरी फोर की दवा चाहिए लेकिन उसे दी जा रही है कटेगरी वन की दवा. रोबोटिक सर्जरी के लिए उसके पास पैसा है नहीं. वह मदद की गुहार मंत्री से लेकर तमाम वरीय अधिकारियों से लगा चूका है. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. उसका कहना है कि उसका केस सरकारी डॉक्टर की गलती से बिगड़ा है लेकिन सरकार उसकी मदद नहीं कर रही. अब ईकबाल मौत की कगार पर पहुँच चूका है और मदद की गुहार लगा रहा है.
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