सिटी पोस्ट लाइव, प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रमोटर यदि ग्राहक को तय समय में फ़्लैट नहीं दे पाता है तो रियल स्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के क्षेत्रीय अधिकारी को प्रमोटर को मुआवजा और ब्याज के भुगतान का आदेश देने का अधिकार है। क्षेत्रीय अधिकारी के आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है और यह कानून की मंशा के अनुरूप है। यह आदेश जस्टिस एस पी केसरवानी व जस्टिस डा वाई के श्रीवास्तव की खंडपीठ ने विभोर वैभव इंफ्राहोम प्राइवेट लिमिटेड की याचिका खारिज करते हुए दिया है।
याचिका में रेरा के क्षेत्रीय अधिकारी द्वारा 25 जून 20 को जारी रिकवरी सार्टिफिकेट को रद़द करने की मांग की गई थी। याची का कहना था कि क्षेत्रीय अधिकारी रेरा को याची पर मुआवजा और ब्याज के भुगतान का आदेश देने का अधिकार नहीं है विशेषकर तब जबकि क्रेता को फ्लैट का कब्जा सौंपा जा चुका है। विभोर इंफ्राहोम ने सारिका तुलसियान और अन्य लोगों से 2011 में फ्लैट देने का करार दिया था। करार के अनुसार 30 माह में फ्लैट का कब्जा क्रेता को सौंप देना था। इसमें छह माह का ग्रेस पीरिएड भी था। मगर कंपनी समय पर निर्माण पूरा कर क्रेता को नहीं दे पाई। उसने 2017 में कब्जा दिया। विलंब से कब्जा सौंपने के कारण करार का उल्घंन हुआ। जिसकी शिकायत क्षेत्रीय अधिकारी के समक्ष की गई। क्षेत्रीय अधिकारी ने 2016 के रेरा एक्ट की धारा 18 के उल्घंन का दोषी करार देते हुए कंपनी को ब्याज सहित मुआवजे के भुगतान का आदेश दिया। इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि यह निर्विवाद है कि करार का उल्लंघन हुआ है और फ्लैट का कब्जा करार के मुताबिक तय समय में नहीं दिया जा सका। इसलिए क्षेत्रीय अधिकारी के आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है। उनको मुआवजा के भुगतान का आदेश देने का अधिकार है।
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