प्रदूषण में कमी और संयमित जीवनशैली से कम हुई बीमारी: डॉ प्रभात
सिटी पोस्ट लाइव, खूंटी: कोरोना वारयरस संक्रमण को रोकने के लिए किये गये देशव्यापी लॉक डाउन के कारण इन दिनों अस्पतालों में मरीजों की संख्या काफी घट गयी है। सरकारी और निजी अस्पतालों के ओपीडी में मरीजों की संख्या में 80 फीसदी की गिरावट आयी है। अस्पताल में मरीजों के कम पहुंचने का एक बड़ा कारण लोगों के बीच कोरोना का खौफ भले ही हो, पर डॉक्टरों का मानना है कि प्रदूषण में कमी और खानपान में सुधार के कारण भी लोग कम बीमार पड़ रहे हैं। खूंटी के सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार कहते हैं कि लॉक डाउन के कारण प्रदूषण में काफी कमी आयी है और पर्यावरण में काफी सुधार हुआ है। सड़कों से वाहन गायब हैं, यहां तक कि रेल और हवाई मार्ग भी बंद है, ऐसे में प्रदूषण में सुधार होना ही है।
डॉ प्रभात का कहना है कि लॉक डाउन के कारण लोग बाहर का खाना नहीं खा रहे हैं। घर का बना साफ-सुथरा भोजन मिलने से लोगों की सेहत पर अच्छा प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि वाहनों के कम चलने के कारण दुर्घटना में भारी कमी आयी है। उन्होंने कहा कि लॉक डाउन के कारण प्रदूषण में सुधार के कारण इन दिनों हार्ट अटैक के मरीजों और दमा व सांस संबधी बीमारी में भी काफी कमी आयी है। सिविल सर्जन कहते हैं कि लोगों को लॉक डाउन के दौरान पर्यावरण में आये सुधार और संयमित जीवनशैली से मिलने वाले लाभ के बारे में विचार करना चाहिए। डॉ प्रभात ने कहा कि बिना लॉक डाउन के भी हम प्रदूषण में कमी लाने और संयमित जीवनशैली अपना लें, तो बीमारी खुद दूर हो जायेगी। उन्होंने कहा कि वायु और ध्वनि प्रदूषण नहीं होने से ओजोन परत में भी काफी अच्छा प्रभाव पड़ा है।
लॉक डाउन से हमें सीख लेनी चाहिए: डॉ मांझी
लॉक डाउन के दौरान अस्पतालों में मरीजों की संख्या कम होने के संबंध में तेफरल अस्पताल तोरपा के प्रभारी डॉ नागेश्वर मांझी कहते हैं कि आम दिनों में रफरल अस्पताल में ढाई से तीन सौ मरीज ओपी में पहुंचते थे। लॉक डाउन के दौरान मुश्किल से 30-40 मरीज पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि आगे भी हमें ऐसी संयमित जीवनशैली अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लोगों का लॉक डाउन से मिल रहे लाभ से सीख लेनी चाहिए।
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