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फागुन बीता नहीं है कि गर्मी ने दी दस्तक, पाकुड में सूखने लगे तालाब ,मर रहीं हैं मछलियां

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फागुन बीता नहीं है कि गर्मी ने दी दस्तक, पाकुड में सूखने लगे तालाब ,मर रहीं हैं मछलियां

सिटी पोस्ट लाइव, पाकुड़: फागुन बीता नहीं है कि गर्मी ने दस्तक दे दी । अभी ही जिले के पचहत्तर फीसदी तालाब सूखने के कगार पर पहुँच गए हैं। कई तालाब तो सूख भी चुके हैं। तालाबों के सूखने के चलते मछलियाँ मरना शुरू हो गई हैं। इससे मत्स्यपालक भी चिंतित हो उठे हैं।जिला मुख्यालय के भी अधिकांश तालाबों में पानी आधा रह गया है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल बारिश कम हुई थी, जिसके चलते ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है। तालाबों के तेजी से सूखने को ले मत्स्य विभाग ने सर्वे कराना शुरू कर दिया है। जिसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन सहित सरकार को भेजी जाएगी। ताकि समय रहते जरूरी कदम उठाए जा सकें। विभागीय सूत्रों के मुताबिक सर्वे रिपोर्ट भूमि संरक्षण विभाग को भी भेजी जाएगी, ताकि तालाबों का जीर्णोद्धार किया जा सके। सदर प्रखंड के अलवा हिरणपुर,महेशपुर,पाकुड़िया,अमड़ापाड़ा,लिटीपाड़ा प्रंखडों के कुल 719 तालाबों में मछली पालन हो रहा है। इनमें से 75फीसदी मौसमी तो 25फीसदी सदाबहार श्रेणी के तालाब हैं। मौसमी तालाबों के अधिकांश लगभग सूख चुके हैं, जहाँ मछलियों की जान पर बन आई है। हालांकि महेशपुर व पाकुड़िया प्रखंडों में सदाबहार तालाबों की संख्या सर्वाधिक है। इन प्रखंडों के मत्स्यपालकों को तो राहत मिल जाएगी। बांकी प्रखंडों के मत्स्यपालकों की परेशानी फिलहाल कम होती दिखाई नहीं दे रही है। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक मत्स्यजीवी सहयोग समितियां सभी 719 तालाबों में मछली पालन कर रही हैं। विभाग द्वारा मत्स्यपालन का प्रशिक्षण प्राप्त 214 किसानों को मुफ्त में मछली का जीरा दिया गया था। जिससे वे बीज तैयार कर बाजार में बेच चुके हैं। जिला मत्स्य पदाधिकारी संजय कुमार ने कहा है कि 75 फीसदी तालाबों के सूखने व उससे उत्पन्न परेशानियों के मद्देनजर इनका सर्वे कराया जा रहा है, जिसकी रिपोर्ट सरकार व भूमि संरक्षण विभाग को भेजी जाएगी।

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