सिटी पोस्ट लाइव, मेदिनीनगर: पलामू प्रमंडल के गांवों में नीलगायों का कहर लगातार जारी है। नीलगायों की तबाही से प्रभावित लोगों को मुआवजा भी नहीं मिलता है। ये किसी चुपके से जान लेने वाली दवा की तरह किसानों की कमर तोड़ने का काम कर रहे हैं। वैसे तो पूरे प्रमंडल में नीलगायों की संख्या दिनानुदिन बढ़ती ही जा रही है। पलामू जिले के हुसैनाबाद, हैदरनगर, मोहम्मदगंज के पहाड़ी, सोन कोयल तटवर्ती व गढ़वा जिले का कांडी, बरडीहा व मझिआंव प्रखंड पांडु प्रखंडों में इनका कुछ अधिक ही कहर है। इस वर्ष साईलेंट किलर की तरह धान के खेतों में पहुंचकर बरबादी का कहर ढाने में जूट गये है। इससे किसान काफी असहत हैं।
सिंचाई व बिजली की सुविधा लगभग नहीं के बराबर है। इसके बावजूद डीजल खरीद कर भी पंपों से सिंचाई कर खेती करने में भी किसान पीछे नहीं रहते हैं। इसके लिए कर्ज लेकर अथवा बाहरी स्थानों से कमा कर परिजनों के द्वारा भेजी गयी गाढ़ी कमाई भी खेती में लगायी जाती है। उस पर स्थिति यह आ जाती है कि नीलगायों का झुंड पहुंचकर न सिर्फ फसल को खा जाते हैं, बल्कि उसमें लौटते हुए रौंद भी देते हैं। ऐसे में खेती में लगी पूंजी भी नहीं वापस होती है।
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वैसे तो प्रायः सभी फसलों को अपनी चपेट में लेते हैं। लेकिन धान, गेहूं, जौ, धनिया,मक्का, अरहर, आलू व अन्य सब्जियों पर इनका कहर कुछ अधिक ही टूटती है। नीलगायों के उत्पात से परेशान किसान श्याम किशोर पाठक, विनोद सिंह, भरत सिंह, मुनी सिंह, दीपक पांडेय, आदि कई किसान बताते हैं कि लगभग एक दशक पहले दो-तीन नीलगाय देखे जाते थे। धीरे धीरे उनकी संख्या बढ़ती गयी है। अब तो एक स्थान में ही 70 से 80 की संख्या में इन्हें देखा जा सकता है।
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