लाभकारी कृषि में मौसम का सटीक पूर्वानुमान होना जरूरी : कुलपति
बीएयू में मौसम पूर्वानुमान के अनुप्रयोग में क्षमता वृद्धि पर दस दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत
रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के कुलपति डॉ. परविंदर कौशल ने कहा कि लाभकारी कृषि के लिए मौसम का सटीक पूर्वानुमान होना जरूरी है। बदलते जलवायु के परिवेश में किसानों की विभिन्न मौसम सम्बन्धी समस्याओं और उसके निदान में मौसम पूर्वानुमान बेहद कारगर तकनीक है। मौसम के सटीक पूर्वानुमान से कृषि को लाभकारी बनाने को बल मिला है। रांची के कांके स्थित बीएयू के कृषि मौसम एवं पर्यावरण विभाग की ओर से शुरू किये गये मौसम पुर्वानुमान के अनुप्रयोग में क्षमता वृद्धि पर दस दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को वे संबोधित कर रहे थे। कृषि संकाय के प्रेक्षागृह में आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि पर्यावरण की दृष्टि से मौसम अत्यंत ही महत्वपूर्ण तत्त्व है, क्योंकि जमीन, जल, जंगल, जंतु तथा वायु पर्यावरण के अन्य घटक मौसम से ही प्रभावित होते हैं। भारत जैसे मानसूनी जलवायु के क्षेत्र में तो वर्ष कई स्पष्ट मौसमों में विभक्त रहता है। विभिन्न मौसम के जो अलग-अलग स्वरूप हैं ,उनका हमारे पर्यावरण पर भिन्न-भिन्न प्रभाव पड़ता है। ये हमारी अर्थव्यवस्था को भी विभिन्न प्रकार से प्रभावित करते हैं। इसलिए मौसम का पूर्वानुमान काफी लाभप्रद एवं महत्वपूर्ण विषय है। आने वाले मौसम के बारे में समय रहते जानकारी हो जाने पर भविष्य में पर्यावरण एवं अर्थव्यवस्था संबंधी योजनाएं पहले से ही बनाई जा सकती हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से विश्वविद्यालय में पूरे देश के मौसम पूर्वानुमान वैज्ञानिकों के जुटने से झारखंड राज्य की कृषि परिस्थिति के अनुरूप तकनीकों के विस्तारीकरण को बल मिलेगा। मौके पर निदेशक अनुसंधान डॉ. डीएन सिंह ने झारखंड की वर्षाश्रित कृषि में मौसम के महत्त्व पर प्रकाश डाला। स्वागत भाषण में कृषि मौसम एवं पर्यावरण विभाग के अध्यक्ष डॉ. अब्दुल वदूद ने बताया कि विश्वविद्यालय में वर्ष 1985 से आईसीएआर-एआईसीआरपी की मौसम पूर्वानुमान परियोजना कार्यरत है। मौके पर उन्होंने द्विश्वविद्यालय द्वारा राज्य में चलाये जा रहे मौसम पूर्वानुमान कार्यक्रम एवं सेवाओं की जानकारी दी। धन्यवाद ज्ञापन परियोजना प्रभारी डॉ. प्रज्ञा कुमारी ने दिया। इस अवसर पर देश के 35 मौसम पूर्वानुमान के साथ डॉ. एमएस यादव, डॉ. राघव ठाकुर, डॉ. जेडए हैदर, डॉ. सुशील प्रसाद, डॉ. आरआर उपासनी, डॉ. एसके पाल, डॉ. पीके सिंह, डॉ. रमेश कुमार और डॉ. डीके शाही भी मौजूद थे।
देश के 35 केन्द्रों में कृषि आधारित मौसम पूर्वानुमान पर शोध कार्यक्रम चलाये जा रहे: डॉ. पी कुमार
कार्यक्रम में आईसीएआर-एआईसीआरपी के परियोजना समन्वयक डॉ. पी कुमार ने बताया कि पूरे देश के 35 केन्द्रों में कृषि आधारित मौसम पूर्वानुमान पर शोध कार्यक्रम चलाये जा रहे है। मौसम एवं कृषि के बदलते परिवेश में कई नए विकल्पों पर शोध किये जा रहे है। शोध से प्राप्त तकनीकों के बेहतर अनुप्रयोग से क्षमता वृद्धि एवं आगामी रणनीति पर विचार-विमर्श के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इसमें मॉनसून के देर से आने, मौनसूनी वर्षा के अन्तराल में फर्क आने, मौसम आधारित फसल प्रादर्श और फसल – मौसम पूर्वानुमान पर आगामी शोध विषय पर चर्चा होगी।
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