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सरकार स्कूलों के प्रति संजीदगी दिखाए और शिक्षकों को शिक्षक ही बने रहने देंः सुदेश  

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने कहा है कि झारखंड सरकार सरकारी स्कूलों के प्रति संजीदगी दिखाए. और इन स्कूलों के शिक्षकों को शिक्षक की ही जिम्मेदारी दी जाए. सरकार इनसे वह काम लेती है, जो उनकी पढ़ाने की क्षमता और प्रतिष्ठा को प्रभावित करती है. श्री महतो ने कहा कि हाल ही में एक कार्यक्रम में सरकार के वरीय मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव के द्वारा की गई टिप्पणी से शिक्षक समुदाय हतोत्साहित महसूस कर रहा है और इसका असर गांव- गिराव के मेहनती बच्चों के मानस पटल पर भी पड़ता है.

 

निजी स्कूल ही शिक्षा के मानदंड हैं, यह बताने और जोर देने के बजाय झारखंड में सरकारी स्कूलों में बेहतर माहौल बनाने के लिए व्यापक रोड मैप बनाने की दरकार है. शिक्षकों की नियुक्तियां, प्रोन्नति जरुरी है और स्कूलों में आधारभूत संरचना. कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए साल भर से स्कूल बंद हैं. ऑनलाइन क्लासेज हर सरकारी स्कूलों के बच्चों की पहुंच में नहीं हैं.

 

उन्होंने कहा कि  मंत्री रामेश्वर उरांव जी को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि सरकारी शिक्षक इस कोरोना काल में पीडीएस दुकान से लेकर अस्पताल तक में तैनात थे. क्‍वारंटाइन सेंटर, रेलवे स्‍टेशन, बस स्टैंड, हवाई अड्डा, दवा दुकान, चेक नाका, ऑक्सीजन सेंटर में रहने के साथ-साथ ऑनलाइन प्रशिक्षण देने का काम कर रहे थे. शिक्षकों ने राशन कार्ड के लिए आए नए आवेदनों की भी जांच की. कोविड टेस्ट के लिए कैंप में तैनात रहे. गांव में बाहर से आने वाले लोगों का सर्वे किया. प्रवासी मजदूरों को बसों से जिला और गांव तक पहुंचाया. मिड डे मील समेत और काम भी इनके जिम्मे है.

 

जबकि इसी राज्य में नवोदय विद्यालय, नेतरहाट विद्यालय, सैनिक स्कूल, इंदिरा गांधी आवासीय विद्यालय हजारीबाग, कस्तूरबा गांधी विद्यालय, सहित ग्रामीण, पठारी और दूरस्थ क्षेत्र के कई  विद्यालयों का बेहतरीन पुराना रिकॉर्ड भी रहा है. नेतरहाट, इंदिरा गांधी आवासीय बालिका स्कूल हजारीबाग की तरह हर जिले में स्कूल गढ़े जाएं, इसकी जरूरत से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता.

 

हाल ही में झारखंड के कई  शिक्षकों को राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा गया है. इसलिए निजी स्कूलों की तरह शिक्षा की गुणवत्ता बहाल करने के लिए विशेषज्ञों की रायशुमारी और कार्ययोजना तैयार कर अगर सरकार काम करे, तो मौजूदा गैप कम किया जा सकता है. लेकिन नींव ही कमजोर रखेंगे तो गुणवत्ता में फर्क जरूर दिखेगा.

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