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ललन सिंह और उपेन्द्र कुशवाहा की जोड़ी दिखा रही है पार्टी में कमाल

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सिटी पोस्ट लाइव : पिछले विधान सभा चुनाव में मिली शिकस्त के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ललन सिंह औऱ उपेन्द्र कुशवाहा को जेडीयू को फिर से 2005 की स्थिति में लाने की जिम्मेदारी सौंपी है. सबसे ख़ास बात ये है कि आर.सी.पी सिंह के केंद्र में मंत्री बन जाने के बाद से ललन सिंह और उपेन्द्र कुशवाहा की दोस्ती मजबूत होने लगी है.अब दोनों ही मिलकर आरसीपी सिंह के समर्थकों को ठिकाने लगाने में जुटे हैं. आर.सीपी सिंह के मंत्री बनकर केंद्र में चले जाने से पार्टी संगठन में बड़ा बदलाव हो गया है.

ललन सिंह (Lalan Singh) और उपेन्द्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) की जोड़ी सब पर भारी पड़ रही है. हाल के दिनों में संगठन में जो फेरबदल हुए हैं, साथ ही कुछ नए लोगों को पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है उसके बाद से तस्वीर बिल्कुल स्पष्ट है कि अब पार्टी में इन्हीं दो नेताओ की चलेगी. यह सब हो रहा है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की मर्जी से, जिन्होंने जेडीयू को 2005 के दौर में लाने की जिम्मेदारी इन दोनों नेताओं के ऊपर डाल दिया है.जबसे आर.सी.पी सिंह केंद्र में मंत्री बने हैं तब से ललन सिंह और उपेन्द्र कुशवाहा काफी करीब हो गये हैं. सबसे पहले वो जेडीयू में अपनी पकड़ मजबूत बनाने और संगठन से धीरे-धीरे आर.सी.पी सिंह के समर्थकों को किनारे लगाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.

ललन सिंह ये संदेश देने में कामयाब रहे हैं कि उनके सवर्ण होने से नीतीश कुमार के सामाजिक न्याय वाली पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है, और वो उपेन्द्र कुशवाहा के साथ बेहतर तालमेल बना कर चल रहे हैं, और कई बार उन्होंने ऐसा मैसेज भी दिया है. एक समय ऐसा भी आया था जब आर.सी.पी सिंह के स्वागत के समय लगाए गए पोस्टरों से ललन सिंह की तस्वीर गायब थी. इसको लेकर पार्टी में माहौल गर्मा गया था. पोस्टर लगाने वाले नेता अभय कुशवाहा पर अनुशासनहीनता का मामला उठा लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कार्रवाई नहीं की. ताकि पार्टी में यह मैसेज नहीं जाए कि ललन सिंह ने पोस्टर नहीं लगाने वाले पिछड़े जाति के नेता पर कार्रवाई की.

उपेन्द्र कुशवाहा भी जब से पार्टी में शामिल हुए हैं तब से जेडीयू के कुशवाहा नेता परेशान हैं. लेकिन नीतीश कुमार के वजह से कोई भी उपेन्द्र कुशवाहा के खिलाफ कुछ नहीं बोल रहा. एक बार ऐसा भी हुआ जब जेडीयू पोस्टर विवाद से चर्चा में आए अभय कुशवाहा ने कहा था कि वो उपेन्द्र कुशवाहा को नेता नहीं मानते हैं, इस पर पार्टी की राजनीति गर्मा गई थी. जेडीयू के कुशवाहा नेताओं की बेचैनी इससे भी समझी जा सकती है कि पटना के एक होटल में जेडीयू के तमाम बड़े नेताओं की बैठक होती है. लेकिन इसमें न तो उपेन्द्र कुशवाहा और न ही उनके समर्थकों को बुलाया गया. जबकि बैठक में पार्टी के कुशवाहा सांसद, विधायक, मंत्री और पार्टी के पदधारक कुशवाहा लीडर मौजूद थे. उपेन्द्र कुशवाहा के बैठक में शामिल नहीं होने को लेकर प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसमें राजनीति न खोजें, यह पुराने लोगों की बैठक थी. अगली बैठक में उपेन्द्र कुशवाहा को बुलाया जाएगा.

यह बात उपेन्द्र कुशवाहा को भी पता है कि उनके जेडीयू में शामिल होने से पार्टी के कई बड़े नेता परेशान हैं. इसकी बानगी भी तब दिखी थी जब आर.सी.पी सिंह उपेन्द्र कुशवाहा के शामिल होने के वक्त मौजूद नहीं थे. लेकिन कुशवाहा इन सब से इतर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर बिहार का दौरा कर जेडीयू को मजबूत बनाने के साथ-साथ अपनी पकड़ को जेडीयू पर मजबूत बनाने में लगे हुए हैं. इसमें उन्हें ललन सिंह की पूरी मदद मिल रही है जिनके पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने से जेडीयू के अंदर से लेकर बाहर तक उनके खिलाफ कोई मोर्चा नहीं खोल पा रहा है. दूसरी ओर ललन सिंह भी उपेन्द्र कुशवाहा को अपने साथ लेकर चल रहे हैं ताकि लव-कुश समीकरण वाली पार्टी में उन्हें कोई समस्या ना हो.

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