City Post Live
NEWS 24x7

सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज की 132वीं जयंती पर विहंगम योग सत्संग समारोह का आयोजन

- Sponsored -

- Sponsored -

-sponsored-

सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज की 132वीं जयंती पर विहंगम योग सत्संग समारोह का आयोजन

सिटी पोस्ट लाइव : जहां प्रेम है वहीं पर परमात्मा का वास है। जहाँ सत्य है, जहाँ श्रद्धा है, जहां समर्पण है, जहां सेवक का भाव है वहीं आत्मा का कल्याण है, वहीं परमात्मा का प्रकाश है। उपरोक्त बातें विहंगम योग के संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने डेहरी कटार में आयोजित विहंगम योग के प्रणेता अनंत श्री सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज की 132 वीं जन्म जयंती के पावन अवसर पर विहंगम योग सत्संग समारोह एवं 5101कुंडीय विश्व शांति वैदिक महायज्ञ में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। महाराज जी ने मानव जीवन की अमूल्यता को प्रकाशित करते हुए कहा कि अध्यात्म हमारे जीवन की अपरिहार्य आवश्यकता है। इसके द्वारा हमारे जीवन का संपूर्ण विकास होता है। हम इस शरीर में हैं, हम इस संसार में है, जिंदगी बीत रही है हमारी, और जिंदगी जीने में ही सारी जिंदगी बीत जाती है और जिंदगी है क्या, जीवन क्यों मिला है, इसका कितना, कहाँ, किस हद तक हमें बोध हो पाता है।

 सायंकालीन सत्र के समापन पर   भक्तो को संबोधित करते हुए सद्गुरु आचार्य श्री स्वतंत्र देव जी महाराज ने भक्तों को बताया कि हमारा यह मानव जीवन अनमोल है, ईश्वर का महान प्रसाद है, यूँ ही नहीं मिला है और हम यूँ ही नहीं गँवा सकते। हमारे भीतर अनन्त की शक्ति है, ईश्वर ही हमारे भीतर बैठे हैं, हमारे अंदर ज्ञान का अनंत प्रकाश है। आवश्यकता है सद्गुरु युक्ति की , जिसके द्वारा हमारा जीवन निखर जाए, संवर जाए, इसीलिए सत्संग है और इसीलिए अध्यात्म की आवश्यकता है। इसके पूर्व दिन में 11बजे ‘अ’ अंकित श्वेत ध्वजा रोहण कर 5101 कुंडीय विश्वशांति वैदिक महायज्ञ का शुभारंभ किया गया।

यज्ञ के पूर्व यज्ञ की महिमा को बताते हुए संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने कहा कि यज्ञ ही संसार मे श्रेष्ठतम कर्म है और संसार का प्रत्येक श्रेष्ठतम कर्म यज्ञ ही है। यज्ञ की मुख्य भावना का तात्पर्य स्वार्थ के त्याग और परोपकारमय जीवन व्यतीत करने से है। यज्ञाग्नि में डाला हुआ कोई भी पदार्थ नष्ट नही होता बल्कि वह फैल जाता है। भौतिक विज्ञान का यह स्पष्ट नियम है कि कोई भी वस्तु तत्वतः नष्ट नही होती बल्कि रूपांतरित होती है ।अग्नि का कार्य स्थूल पदार्थ को सूक्ष्म रूप में परिवर्तित कर देना है। वैदिक मंत्रोच्चारण से वातावरण परिशुद्ध हो दिव्य परिवेश का निर्माण होता है। आज हो रहे ग्लोबल वॉर्मिंग को रोकने का यह एक ससक्त माध्यम है।

इस पर सभी पर्यावरण चिंतको का ध्यान अवश्य होना चाहिए। 5101 दम्पत्तियों ने एक साथ इस पावन अवसर पर भौतिक एवं आध्यात्मिक उत्थान के निमित्त वैदिक मंत्रोंच्चारण के साथ यज्ञ कुंड में आहुति को प्रदान किये। भव्य एवं आकर्षक ढंग से सजी 5101 कुण्ड यज्ञ वेदियों में वैदिक मंत्रों की ध्वनि से संपूर्ण वातावरण शुचिता को धारण करते हुए गुंजायमान हो उठा। यज्ञ के पश्चात् सद्गुरु देव एवं संत प्रवर जी के दर्शन के लिए  भक्तों  का जनसैलाब उमड़ पड़ा। यज्ञ वेदी से निकल रहे धूम्र से आस. पास के गाँवों का संपूर्ण वातावरण परिशुद्ध होने लगा।

यज्ञ के उपरांत  मानव मन की शांति व आध्यात्मिक उत्थान के निमित्त ब्रह्मविद्या विहंगम योग के क्रियात्मक ज्ञान की दीक्षा आगत नए जिज्ञासुओं को दिया गया। आगत नए जिज्ञासु ब्रह्मविद्या बिहंगम योग के क्रियात्मक ज्ञान की दीक्षा को ग्रहणकर अपने जीवन का आध्यात्मिक मार्ग प्रसस्त कर रहे है। इस आयोजन में प्रतिदिन निःशुल्क योग, आयुर्वेद, पंचगव्य, होम्योपैथ आदि चिकित्सा पद्धतियों द्वारा कुशल चिकित्सकों के निर्देशन में रोगियों को चिकित्सा परामर्श भी दिया गया।

विकाश चन्दन की रिपोर्ट

-sponsored-

- Sponsored -

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

- Sponsored -

Comments are closed.