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ये ख़ास खबर किसानों के लिए है ,बाढ़ सुखाड़ में भी बम्पर धान की पैदावार

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सिटीपोस्टलाईव:यह खबर किसानों के लिए है.बिहार के किसान कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ से परेशान रहते हैं.लेकिन अब धान की एक ऐसी नस्ल आ गई है जो बाढ़ सुखाद दोनों ही स्थितियों में बम्पर उपज देगा.इस धान की नयी वेरायटी का नाम है सबौर संपन्न धान है . बीएयू के वैज्ञानिकों की टीम की यह खोज बिहार कृषि के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है.सामान्य स्थिति में इसका उत्पादन 6 टन प्रति हेक्टेयर होगा. मौसम के प्रतिकूल होने पर भी 2.5 से 3 टन प्रति हेक्टैयर उत्पादन देगा.

इस धन के पौधे की ऊंचाई 100 से 110 सेंटीमीटर तक होता है. इसके दाने छोटे और मोटे हैं. स्वाद और स्वास्थ्य की दृष्टि से यह वेराइटी लोगों को काफी पसंद आएगा.खास बात यह धान 145 से 155 दिनों में पक कर तैयार हो जाता है.इस वेराइटी को रिलीज करने की अनुमति के लिए कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता वाली स्टेट वेराइटी रिलीज कमेटी के पास प्रस्ताव भेंज गया है. कमेटी से हरी झंडी मिलते ही किसानों को उपलब्ध होने लगेगा.उम्मीद है   अगले साल किसानों को इस धान के बीज उपलब्ध हो जायेगें.कृषि विभाग ने भी धान के वैज्ञानिकों से बाढ़ और सुखाड़ सहने की क्षमता वाले वेराइटी की खोज करने के लिए आग्रह किया था.

ये ख़ास खबर किसानों के लिए है ,बाढ़ सुखाड़ में भी बम्पर धान की पैदावार .वैज्ञानिकों के अनुसार इस धान में रोपनी के 30 दिनों बाद खेत में 15 दिनों तक जल जमाव बर्दाश्त करने की क्षमता है. दाना बनने के समय होने वाली सुखाड़ की स्थिति को भी यह बर्दाशत कर सकता है.
स्वर्णा सव वन और राजेंद्र मंसूरी ऐसी वेराइटी है जो बाढ़ वाले इलाकों में दो सप्ताह तक पानी सहने की क्षमता रखता है, लेकिन इसमें सूखा सहने की क्षमता नहीं है. सबौर संपन्न धान बाढ़ का पानी सहने की क्षमता के साथ ही दाना आने के समय पानी खेत में नहीं रहने पर भी दाना भरा जाएगा. वैज्ञानिकों के अनुसार स्वर्णा बीज में रिसर्च कर एक जीन डाल कर पानी सहने की क्षमता विकसित की गई है, जबकि सबौर संपन्न में तीन अलग-अलग जीन का उपयोग कर विकसित किया गया है, जो बाढ़ के साथ ही सुखाड़ सहने की क्षमता रखता है.

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