सिटी पोस्ट लाइव, वाराणसी: दीपावली पर्व पर जमकर हुई आतिशबाजी से एक बार फिर बनारस शहर की आबोहवा बिगड़ गई है। एनजीटी का प्रतिबंध भी पर्व पर बेअसर रहने से कोविड 19 संक्रमण बढ़ने का खतरा भी है। हालांकि सोमवार सुबह अचानक जिले में हुई हल्की बूंदाबांदी से हवा में व्याप्त पीएम 10 वाले भारी कण और पीएम 2.5 के हल्के कण जमीन पर आ गये। इससे लोगों को काफी राहत महसूस हुई। केयर फार एयर की अभियानकर्ता एकता शेखर तिवारी ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ को बताया कि क्लाइमेट एजेंडा ने पाचवीं बार इस वर्ष भी दिवाली के दूसरे दिन शहर के 18 इलाकों में वायु गुणवत्ता की जांच की। मशीनों से हुई जांच में आई रिपोर्ट का हवाला देकर एकता ने बताया कि जिले में आशापुर, पांडेयपुर, काशी स्टेशन, सारनाथ व कचहरी सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्र पाया गया। रविन्द्रपुरी इलाका तुलनात्मक रूप से साफ रहा। उन्होंने बताया कि शहरियों ने जहां जम कर पटाखे जलाए, वहीं दूसरी ओर इन पटाखों से शहर में पी एम 2.5 और पीएम 10 का स्तर भारत सरकार के मानकों की तुलना में क्रमशः 4 और साढ़े 4 गुना अधिक बढ़ गया।
Read Also
उन्होंने कहा कि प्राप्त आंकड़ों से यह साफ जाहिर है कि न केवल बच्चे, बूढ़े बल्कि कोविड के मरीजों की सुरक्षा को भी ताक पर रखा गया और जिला प्रशासन भी पर्व पर मूक दर्शक बना रहा। कोविड संक्रमण के खतरों के बारे में एकता शेखर ने कहा कि विभिन्न राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा जारी अध्ययनों के अनुसार हवा में बढ़ते हुए प्रदूषण से कोविड 19 संक्रमण भी बढ़ने का खतरा पाया गया है। इन्ही अध्ययनों को संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने अत्यधिक प्रदूषित हवा वाले शहरों में पटाखे के क्रय विक्रय पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने का आदेश जारी किया था। उन्होंने बताया कि शहर में वायु प्रदूषण आतिशबाजी के अलावा खस्ताहाल सड़कें और खराब कचरा प्रबंधन से भी बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि शहर में तीन नए वायु गुणवत्ता मापन यंत्रों की स्थापना सम्बन्धी पिछले सप्ताह जारी आदेश एक अच्छी पहल है, जिसे काफी पहले ही लिया जाना चाहिए था।
Comments are closed.