सिटी पोस्ट लाइव, रांची: निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कहा कि तत्कालीन नगर विकास मंत्री रघुवर दास ने कल यह जानकारी दी कि 2005 में रांची के सिवरेज-ड्रेनेज का डीपीआर तैयार करने के लिये मेनहर्ट को परामर्शी नियुक्त करने के पहले नगर विकास विभाग द्वारा इसी काम के लिये नियुक्त परामर्शी निकम्मा था, इसलिए उन्होंने उसे हटा दिया। सरयू राय ने कहा कि सफेद झूठ बोलने में माहिर रघुवर दास को जरूर पता होगा चाहिये कि उनके द्वारा शर्तों का उल्लंघन कर बेवजह हटाये जाने के विरोध में वह परामर्शी (ओआरजी) झारखंड उच्च न्यायालय चला गया था। उच्च न्यायालय ने कहा कि यह मामला पंच निर्णय यानी पंचाट (आर्बिट्रेशन) का है, उच्च न्यायालय ने इसके लिये केरल उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति यू.पी. सिंह को पंच (आर्बिट्रेटेर) नियुक्त कर दिया। उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त पंच न्यायमूर्ति यू.पी. सिंह ने रघुवर दास द्वारा ओआरजी को हटाये जाने के निर्णय और ओआरजी द्वारा इस निर्णय के विरोध के कारणों की गहन समीक्षा की और न्याय निर्णय दिया कि ओआरजी को हटाने का रघुवर दास का निर्णय गलत था।
पंचाट के इस निर्णय का उल्लेख मेरी पुस्तक “लम्हों की खता” में एक खंड के रूप में किया हुआ है. फिर भी इस मामले में रघुवर दास अपनी गलती, निहित स्वार्थ एवं बदनीयत को छुपाने के लिये सार्वजनिक रूप से जानबूझकर झूठ पर झूठ बोले जा रहे हैं। उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त पंच ने 30मई 2012 को निर्णय दिया और बेवजह हटाये जाने से ओआरजी को हुए नुकसान की भरपाई के लिये नगर विकास विभाग पर 3.62 करोड़ का हर्जाना लगाया और इसे भुगतान करने का निर्देश दिया।
क्या तत्कालीन नगर विकास मंत्री रघुवर दास अपने गलत एवं निहित स्वार्थ से प्रेरित इस निर्णय से सरकारी खजाना को हुए 3.62 करोड़ के नुकसान की भरपाई करेंगे? आश्चर्य है कि वे गलती स्वीकार करने और गलती के लिये माफी माँगने के बदले ढिठाई का प्रदर्शन कर रहे हैं और अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं. वे “चोरी भी और सीनाजोरी भी” तथा ‘‘चोर मचाये शोर” की कहावत चरितार्थ कर रहे हैं. मुख्यमंत्री रह चुके व्यक्ति का ऐसा आचरण अशोभनीय है।
सरयू राय ने मांग की कि उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त पंच के निर्णय एवं निर्देश के अनुरूप प्रासंगिक मामले में राज्य सरकार पर लगे 3.62 करोड़ हर्जाना की राशि रघुवर दास से वसूलें। इसके लिये नोटिस जारी करें। उन्होंने इस निहित स्वार्थ प्रेरित निर्णय से रघुवर दास ने न केवल झारखंड को बदनाम किया है और राज्य सरकार को वित्तीय नुकसान पहुंचाया, है बल्कि रांची की जनता की कठिनाइयां को बढ़ाया है और अपनी पार्टी को भी बदनाम किया है।
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