सिटी पोस्ट लाइव, रांची: राज्य के पूर्व मंत्री और विधायक सरयू राय ने शनिवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है। राय ने पत्र में लिखा है कि जमशेदपुर का एमजीएम अस्पताल पहले से ही कुव्यवस्था एवं कुप्रबंधन के लिये विख्यात है। अब वहाँ भ्रष्टाचार एवं अनियमितता का भी बोलबाला हो गया है। एमजीएम अस्पताल परिसर में हाल ही में बना 100 बेड का मॉड्यूलर आईसीयू भवन का विस्फोट के साथ ढह जाना इसका जीता-जागता उदाहरण है।
इसके निर्माण के दौरान भी वहाँ ऐसा हादसा हुआ था। निर्माण के बाद भी हुआ है। गनीमत है कि इस दौरान वहाँ कोई मरीज भर्ती नहीं था। आगे ऐसा हादसा नहीं होगा इसके प्रति सरकार को आश्वस्त करना होगा। यह तभी संभव है जब सरकार इस भवन के निर्माण की जाँच थर्ड पार्टी तकनीकी विशेषज्ञों से कराये ताकि निर्माण के दौरान हुई अनियमितताओं का पता चल सके। प्रथम दृष्ट्या प्रतीत होता है कि इस ढाँचा के निर्माण में घपला हुआ है, घटिया सामग्रियों का इस्तेमाल हुआ है। यह एक गंभीर विषय है। इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिये।
उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समूह की जाँच से ही इसका खुलासा हो पायेगा कि एमजीएम अस्पताल की वर्तमान कुव्यवस्था के लिये जिम्मेदार एमजीएम प्रबंधन की लापरवाही है, प्रबंधन के कार्यों में परोक्ष-प्रत्यक्ष, वांछित-अवांछित हस्तक्षेप है या एमजीएम व्यवस्था पर थोपा गया भ्रष्टाचार है। राय ने अनुरोध किया है कि जनहित में इस मामले की जाँच उच्चस्तरीय तकनीकी एवं वित्तीय विशेषज्ञ समूह से कराने का शीघ्र निर्देश दें।
उल्लेखनीय है कि एमजीएम अस्पताल के नियमों एवं परम्परा में कोई प्रावधान नहीं होने के बावजूद स्वास्थ्य मंत्री के एक निजी प्रतिनिधि अस्पताल में प्रतिनियुक्त हैं। अस्पताल अधीक्षक के कक्ष के सामने उनके बैठने के लिये एक बड़ा कक्ष आवंटित किया गया है। बताया जाता है कि वहाँ से वे अपने हिसाब से अस्पताल की गतिविधियों और मरीजों की सुविधा, असुविधा की निगरानी करते रहते हैं। इसके बावजूद यदि अस्पताल में निर्माण का काम घटिया हो रहा है और मरीजों की भोजन आदि सुविधाएँ बदतर हो गई हैं तो यह आश्चर्यजनक है। इसकी जवाबदेही आखिर कौन उठायेगा।
Comments are closed.