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राष्ट्रव्यापी हड़ताल : एक दिन में बोकारो को सवा तीन सौ करोड़ का घाटा

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राष्ट्रव्यापी हड़ताल : एक दिन में बोकारो को सवा तीन सौ करोड़ का घाटा

सिटी पोस्ट लाइव, बोकारो: सेन्ट्रल ट्रेड यूनियन संगवारा 8 एवं 9 जनवरी को आहुत दो दिवसीय अखिल भारतीय हड़ताल के पहले दिन बोकारो में कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ। बैंक, बीमा और डाकघर तीनों को मिलाकर लगभग सवा तीन सौ करोड़ रुपये का व्यवसाय बोकारो में महज एक दिन में प्रभावित हुआ। बैंक एवं बीमाकर्मियों के संगठनों एआईबीईए, बीईएफआई, एआईआईईए, जीआईईएआईए, एआईएलआईसीईएफ ने भी भारत सरकार की कथित जन विरोधी-मजदूर विरोधी नीतियों के विरूद्ध संघर्ष में अपनी भागीदारी निभायी। चास-बोकारो में कार्यरत उपरोक्त सभी बैंक एवं बीमाकर्मियों के संगठनों के लोग पूर्णतः हड़ताल पर रहे। प्रायः सभी बैंक एवं बीमा कार्यालय बंद रहे। डाकघरों में भी ताले लटके रहे।आंदोलनकारी सदस्यों ने अपने-अपने कार्यालय और शाखाओं के समक्ष धरना व प्रदर्शन किया। कार्यक्रम संयोजक सह यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन्स के जिला संयोजक एसएन दास के अनुसार उक्त हड़ताल को बैंकों में कार्यरत अधिकारी संगठनों द्वारा भी नैतिक समर्थन दिया गया है। उन्होंने बताया कि हड़ताल के पहले दिन बैंक व बीमा सेक्टरों को मिलाकर जिले में लगभग डेढ़ सौ करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हुआ है। वहीं, डाककर्मियों के राष्ट्रीय संगठन एआईपीईयू (ग्रुप-सी) के सचिव संतोष कुमार सिंह ने बताया कि जिले के लगभग 700 सभी डाकघरों, उपडाकघरों में ताले लटके रहे। सभी को मिलाकर जिले में लगभग पौने दो सौ करोड़ रुपये का कारोबार मंगलवार को हड़ताल के पहले दिन प्रभावित हुआ। दास ने कहा कि यह हड़ताल मूल रूप से भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित जनविरोधी एवं मजदूरविरोधी श्रम सुधार कानून एवं ट्रेड यूनियन से जुड़े कानूनों, नियमित एवं दैनंन्दिन कार्यों की आउटसोर्सिंग व ठीकेदारीकरण, बैकों के विलय आदि के विरुद्ध की गयी है। उन्होंने कहा कि यह हमारे अस्तिव की लड़ाई है। कारण जब यूनियन और लेबर कानून ही नहीं बचेंगे तो हमारा वजूद ही समाप्त हो जाएगा। हमसे हड़ताल करने का अधिकार भी छीनने का प्रयास किया जा रहा है जबकि हम अपने एवं आमजनों के हितों के रक्षार्थ अपना वेतन कटाकर हड़ताल करते हैं। अवैध घोषित किए गए किसी भी हड़ताल में भागीदारी करने पर जुर्माना और जेल तक जाने का प्रावधान किया जा रहा है। हम इसके लिए अंतिम दम तक अपना संघर्ष करेंगे एवं अपने अधिकारों की रक्षा के साथ-साथ आम जनों/ग्राहकों की सुविधा के लिए भी संघर्ष करेंगे।

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