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हाईकोर्ट ने ब्लैक फंगस के मरीज की समुचित इलाज नहीं होने पर जतायी नाराजगी

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड उच्च न्यायालय ने ब्लैक फंगस के मरीज की समुचित इलाज की व्यवस्था नहीं हो पाने कड़ी नाराजगी जतायी है। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ0 रविरंजन ने ब्लैक फंगस मामले में स्वतः संज्ञान पर सुनवाई करते हुए मौखिक टिप्पणी में कहा कि चीफ मिनिस्टर के पीए कहते हैं कि हमारे पास पैसा नहीं है, तो क्या हमारे नागरिक अपनी जगह और जमीन बेचकर अपना इलाज कराएं। उन्होंने कहा कि यदि उनके पास पैसा होता, तो वे उस पीड़ित को पैसा देकर मदद करते। ब्लैक फंगस से पीड़ित उषा देवी के मामले में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि पीड़ित महिला के इलाज की क्या व्यवस्था की गयी है।

 

इस सुनवाई के दौरान उपस्थित रिम्स निदेशक से अदालत ने पूछा कि वे शपथपत्र दायर कर यह जानकारी दे सकते हैं कि ब्लैक फंगस से जूझ रहे मरीज बाहर से दवा नहीं खरीद रहे। इस पर रिम्स निदेशक ने कोअर् को जानकारी देते हुए बताया कि दवाईयों की सप्लाई पूरी नहीं है, इसलिए वे शपथपत्र दायर नहीं कर सकते।

 

गौरतलब है कि गिरिडीह के पचंबा की रहने वाली 45वर्षीय उषा देवी ब्लैक फंगस की चपेट में है। 17 मई को उषा को इलाज के लिए रिम्स लाया गया, लेकिन इलाज शुरू होने में दो दिन लग गये। वहीं इलाज में लापरवाही के कारण एक आंख में संक्रमण पूरी तरह से फैल चुका है, जबकि इंफेक्शन ब्रेन में पहुंच गया है। मां की खराब स्थिति को देखते हुए उषा के बच्चे गौरव और बेटी पूजा सरकार से इलाज की समुचित व्यवस्था करने का लगातार गुहार लगा रही हैं, दोनों ने मुख्यमंत्री आवास जाकर अपनी मां को बचाने का आग्रह भी सरकार से किया था।

 

उन्होंने मुख्यमंत्री को सौंपने अपने पत्र में इलाज में लापरवाही का भी आरोप लगाया है, जिसके कारण उनकी मां की स्थिति गंभीर हो गयी है। बच्चों ने राज्य सरकार से मांग की है कि बेहतर इलाज के लिए उनकी मां को केरल या अहमदाबाद भेजा जाए, इसके लिए एयर एंबुलेंस की व्यवस्था राज्य सरकार करें, यदि ऐसा नहीं होता है, तो दोनों भाई-बहन रिम्स में फांसी लगाकर अपनी जान दे देंगे।  उषा के बेटे गौरव ने बताया कि मुख्यमंत्री आवास के अधिकारी ने कहा है कि इलाज के लिए 50 हजार से एक लाख रुपये तक की मदद की जाएगी, जबकि एयर एंबुलेंस देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार के फंड में राशि नहीं है, जिस कारण इसकी व्यवस्था नहीं की जा सकती।

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