कैंसर पीड़ितों को इलाज के लिये राज्य से बाहर नहीं जाना पड़ेगा : मुख्यमंत्री
सिटी पोस्ट लाइव, रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास और टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा ने शनिवार को कांके स्थित रिनपास के नजदीक रांची कैंसर अस्पताल एण्ड रिसर्च सेंटर के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया। श्री दास ने शिलान्यास समारोह को संबोधित करते हुए राज्यवासियों की ओर से रतन टाटा का अभिवादन किया। उन्होंने कहा कि टाटा ट्रस्ट ने मोमेंटम झारखण्ड के दौरान कैंसर अस्पताल स्थापित करने की मांग को पूरा किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आनेवाले 2 वर्ष के बाद राज्य के कैंसर पीड़ितों को अन्य राज्य इलाज के लिए नहीं जाना पडेगा। उन्होंने कहा कि अन्य राज्य जाने पर लोगों को होने वाली परेशानियों से अवगत था। यही वजह रही कि मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही मैंने स्वास्थ्य सुविधाओं हेतु कार्य शुरू किया। 4 साल में 6 मेडिकल कॉलेज, एम्स निर्माण कार्य प्रारंभ करवाया। आज कैंसर अस्पताल निर्माण कार्य का शुभारंभ कर दबी हुई कसक भी समाप्त हो गई।
80 फीसदी लाभांश जनकल्याण में होता है खर्च
श्री दास ने कहा कि टाटा समूह द्वारा अपने लाभांश का 80 फीसदी राशि जनहित के कल्याण में खर्च किया जाता है। यह परंपरा 100 वर्ष पुरानी है। क्योंकि जमशेदजी टाटा ने संदेश दिया था कि जो भी धन हम अर्जित कर रहें हैं वह समाज से प्राप्त किया हुआ है। इस लाभांश का हिस्सा समाज के उत्थान में लगाना चाहिए। उस परंपरा का निर्वहन आज भी हो रहा है। अन्य औद्योगिक घरानों को भी प्रेरणा लेना चाहिए। श्री दास ने बताया कि स्वाधीनता से बहुत पहले ही भारत में स्टील उत्पादन करने हेतु कंपनी ने कार्य प्रारंभ किया। आजाद भारत के बाद जमशेदजी ने राष्ट्र और राज्य की समृद्धि हेतु प्रयास प्रारम्भ कर दिये। हर क्षेत्र में समूह द्वारा काम हो रहा है।
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टाटा ट्रस्ट ग्रामीण विकास में भी सहायक बनें
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह से टाटा समूह ने कैंसर अस्पताल का शिलान्यास कर पूरा किया। उस तरह झारखण्ड के ग्रामीण क्षेत्र के सर्वांगीण विकास में सहायक बनें। राज्य के एक हजार पंचायत के गांव को विकसित करने, कोल्हान क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट का अधिष्ठान करने में मदद करे। राज्य सरकार खर्च होने वाली राशि का 50 फीसदी ट्रस्ट को देगी। सरकार, जनता और कारपोरेट शक्ति मिलकर राज्य की गरीबी समाप्त करने की सार्थक पहल करे।
चिकित्सक ईमानदारी से कार्य करें
श्री दास ने कहा कि जल सहिया बहनों के अथक प्रयास से राज्य में शिशु और मातृ मृत्यु दर में कमी दर्ज की गई है। राज्य के चिकित्सक भी ईमानदारी से कार्य करें। आपको भगवान ने चिकित्सक बनाया है। डॉक्टर सदर अस्पताल और रिम्स नहीं जाना चाहते और मरीज उनकी बाट जोहते हैं। डॉक्टर समाज के लिए कुछ करें। जीवन एक बार प्राप्त होता है इसका अंश परोपकार में भी लगाएं। सदर अस्पताल और रिम्स नहीं जाना यह ठीक नहीं है। अप्रैल से ओपीडी का कार्य शुरू होगा
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