सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड में भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि झारखंड में नियमित गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति जरूरी है। बाबूलाल मरांडी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में बताया कि कि राज्य में नई सरकार के गठन से लेकर आज तक लगभग 41 छोटी-बड़ी उग्रवादी घटनाएं घटित हो चुकी हैं। एक दिन पूर्व ही लोहरदगा में उग्रवादियों ने आतंक मचाते हुए 15 वाहनों को फूंकने के साथ वहां कार्यरत कर्मियों के साथ मारपीट की है। राज्य में उग्रवादी गतिविधियों का लगातार बढ़ना घोर चिंता का विषय है। वहीं कोरोना संकट काल में लगभग 6 से अधिक बार सीधे तौर पुलिस के साथ या उसकी मौजूदगी में घटित अन्य घटनाओं में भद्द पिटी है। बावजूद पुलिस तमाशबीन बनी रही। इससे पुलिस की कार्य क्षमता के साथ-साथ राज्य सरकार की साख पर बट्टा लग रहा है। उन्होंने कहा कि पुलिस की अक्षमता और मनमानी के पीछे राज्य की पूरी आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था के सर्वोच्च पदों को प्रभारी अधिकारियों के सहारे चलाया जाना ही इसका प्रमुख कारण लग रहा है। जिस राज्य में गृह सचिव से लेकर डीजीपी तक के पद प्रभारी अधिकारियों के जिम्मे होंगे, वहां दुरूस्त लाॅ एंड आर्डर की कल्पना भी बेमानी है।
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क्या राज्य में सक्षम और काबिल अधिकारियों का टोटा हो गया है ? या आपको राज्यहित में ऐसे सर्वाधिक महत्वपूर्ण पदों पर अफसरों की तैनाती के फैसले लेने से कौन-सी अदृश्य शक्तियां रोक रही है ? अगर कोई नहीं रोक रहा तो फिर यह अस्थायी व प्रभारी अधिकारियों की तैनाती क्यों और कब तक ? दुखद बात है कि इतने दिनों बाद भी राज्य सरकार एक अदद नियमित पुलिस महानिदेशक एवं गृह सचिव नहीं खोज पाई। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसे पुलिस महानिदेशक या गृह सचिव बनाते हैं और किसे नहीं, यह मुख्यमंत्री विशेषाधिकार है। परंतु इस प्रकार प्रमुख पदों को अतिरिक्त प्रभार वाले कार्यकारी अधिकारियों के भरोसे चलाना राज्यहित में कतई नहीं है। अगर ऐसे संवेदनशील महत्वपूर्ण पदों के लिए राज्य के किसी अधिकारी की क्षमता सरकार या आपके मापदंडों पर खरी उतरती नहीं दिखती या योग्य नहीं लगते तो झारखंड से बाहर से ही योग्य अधिकारियों को तो यहां लाया ही जा सकता है।
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