झारखण्ड सरकार की अकर्मण्यता के चलते स्वयं सहायता समूह गर्त में : के एन त्रिपाठी
Read Also
सिटी पोस्ट लाइव, मेदनीनगर: झारखण्ड राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका मिशन द्वारा संचालित स्वयं सहायता समूह सरकार की कथित उपेक्षा और उदासीनता के चलते गर्त में चले गये है। इन समूहों के भलीभांति संचालन और व्यवसाय को बढाने के लिए सरकार से प्रत्येक को पाँच लाख रुपये की राशि अनुदान के रूप में देने की मांग की गयी है। यह मांग सतबरवा प्रखंड के बारी पंचायत स्थित पंचायत भवन में बुधवार को आयोजित बैठक में पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने की । उन्होंने कहा कि 90 प्रतिशत स्वयं सहायता समूह बीते पांच सालों में एक लाख रुपये का भी बिजनस नहीं कर सके है , जबकि समूह के 12 सदस्य यदि मजदूरी भी करें तो 300 रुपये के हिसाब से वे प्रतिदिन 3600 रूपया और महीने में 10,800 रूपया एवं साल में 1,25000 रूपया हर सदस्य कमा सकते हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि कई सारे समूह तो एक लाख रूपये भी नहीं कमा सके और कितने तो दस बीस पचास हजार रुपये का भी लाभ नहीं कमा सके। त्रिपाठी ने आरोप लगाया की बीते पांच वर्षों में सरकार की अकर्मण्यता के चलते इन स्वयं सहायता समूहों की मेहनत का शोषण एवं दुरूपयोग हो रहा है तथा इनको यथोचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। अतः हम मांग करते हैं कि सरकार यथोचित लाभ देने के लिए पाँच लाख रुपये तक कि राशि प्रत्येक समूह को अनुदान के रूप में दे। साथ ही समूह के अध्यक्ष एवं सचिवों को मासिक तनख्वाह दे। 8 हजार एवं 5 हजार रुपए प्रति महीना उनके वीओ को जो बीस समूहों के अध्यक्ष हैं उनको पन्द्रह हजार रुपये महीना सरकार तनख्वाह के रूप में निर्धारित करें ।
Comments are closed.