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संतान के दीर्घायु कामना को लेकर महिलाओं ने रखा उपवास 

जीवित्पुत्रिका व्रत निर्जला व्रत रखकर पूजा-अर्चना 

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सिटी पोस्ट लाइव : जीवित्पुत्रिका पर्व पर मंगलवार को महिलाओं ने संतान के दीर्घायु कामना को लेकर निर्जला व्रत रखा और पूजा-अर्चना के बाद कथा सुनी। पर्व-त्योहार हमारे जीवन का प्रमुख आधार माना जाता है। यह आनन्द और उल्लास का प्रतिक है। पर्व-त्योहार आने के पहले से ही हम सभी में उमंग आ जाती है। इस भारत  वर्ष में न जाने कितने सामुदाय के लोग करते हैं और प्रत्येक सामुदाय के लोग धार्मिक अनुष्ठानों एवं पूजा-पाठ को लेकर ईश्वर में अटूट विश्वास रखते हैं। उनकी श्रद्धा-भक्ति से लोग अपने मन की अशान्ति को मिटाते हैं। इनलोगों का कहना है कि ईश्वर के बिना सब कुछ सुना सा लगता है। ईश्वर हमारे अन्नदाता हैं, हमारे पोषक हैं। हमारी आराधना ईश्वर की उपासना करना है। यह पर्व हमारे जीवन में वर्षों भर कुछ-न-कुछ रूपों में आते-जाते रहते हैं। जिसे हमारी प्रकृति भी अपने में प्रफूल्लित हो जाती है। पर्व-त्यौहार हमें शान्ति प्रदान करता है। इस पर्व को क्षेत्र के अनुसार विभिन्न नामों से जाना  जाता है जैसे सरहुल, करमा, जीतिया, दशहरा, दीपावली( सोहराय), टुसू, बंदना आदि।
जीवित्पुत्रिका पर्व की बात करें तो यह पर्व भी सरहुल और करमा के जैसे ही प्रकृति से जुड़ा हुआ पर्व है। प्रकृति में रहने वाले चील (पंछी) और सियार (जानवर) को खीरा के पांच हरी पत्तियां पर भोग (एक प्रकार का पूजा किया हुआ भोजन) चढ़ाते हैं। यह पर्व महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। यह पर्व बड़े ही उमंग और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह पर्व आश्विन माह में अष्टमी को होता है। इस दिन घर की महिलाएं अपने पुत्र की कामना, उसकी सुख-सुविधा तथा सुखमय जीवन के लिए दिनभर उपवास रखती हैं।
रात में पीपल वृक्ष की डाली को करमा पर्व के जैसे ही एक धार्मिक स्थल पर गाड़ दी जाती है। रात में पूजा समाप्त हो जाने के बाद पुजारी महिलाओं द्वारा जीतिया पर्व से संबंधित कुछ गीत गाये जाते हैं। केकर लेगिन सेवली, सिवा-सिवा राइत रे।  केकर लेगिन सेवली जय जगरन्नाथ।  अन्ना लेगिन धन्ना लेगिन सेवली जय जगरन्नाथ।  पुत्र लेगिन सेवली जय जगरन्नाथ।
प्रस्तुत गीत में कहा गया है कि एक पुरूष व्यक्ति कोई दूसरी पुजारी महिला से पूछ रहा है कि आप किसके लिए यह पर्व का उपवास रखे हैं? महिला जवाब में कहती है  मैं अपने पुत्र के मनोकामना, उसकी सुख-सुविधा तथा सुखमय जीवन के लिए व्रत रखी हूं। मेरा पुत्र हमेशा सुख-शान्ति से रहे और आगे विकास की ओर अग्रसर होके अपने गांव, घर-परिवार, देश और अपने नाम को सदा रौशन करे।

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