City Post Live
NEWS 24x7

स्वच्छ हवा नागरिकों का मौलिक अधिकार, हर हाल में कम करना होगा प्रदूषण : सुरेश प्रभू

-sponsored-

-sponsored-

- Sponsored -

सिटी पोस्ट लाइव : स्वच्छ हवा और पानी हर नागरिक का अधिकार है। लेकिन स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। हमें वायु की खराब गुणवत्ता के मूल कारणों पर बात करनी होगी। ये कहना है पूर्व रेलमंत्री और सांसद सुरेश प्रभु का। वह सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी (सीएसटीईपी) में सेंटर फॉर एयर पॉल्यूशन स्टडीज (सीएपीएस) की ओर से आयोजित भारत स्वच्छ वायु शिखर सम्मेलन (आईसीएएस 2021) में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि, ऊर्जा के इस्तेमाल के तरीकों को बदल कर, परिवहन के तरीकों में बदलाव करके, औद्योगिक प्रदूषण को कम करके, बेहतर प्रबंधन के माध्यम से इस पर काबू पाया जा सकता है। समाधान उपलब्ध हैं, परिवर्तन संभव है, लेकिन केवल समर्पित और समन्वित प्रयासों से ही हम वायु प्रदूषण के मूल कारण को समझ सकते हैं। नागरिकों को स्वच्छ वायु प्रदान कर सकते हैं।

इस अवसर पर विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नीति अध्ययन केंद्र (सीएसटीईपी) के कार्यकारी निदेशक डॉ जय असुंडी ने कहा कि, हमारा ध्यान वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को दूर करने पर है। आईसीएएस के माध्यम से हम मजबूत नीतियों को तैयार करने में मदद करने के लिए वायु प्रदूषण पर महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने की उम्मीद करते हैं। वहीं दिल्ली रिसर्च इम्प्लीमेंटेशन एंड इनोवेशन की सीईओ शिल्पा मिश्रा ने कहा कि, नीति निर्माताओं के सामने वायू प्रदूषण के कारण हो रहे मौसमी बदलाव पर ध्यान देने और उसके समाधान निकालने की चुनौती है।

वर्तमान नीतियां से केवल आर्थिक गतिविधि को फायदा, प्रदूषण नियंत्रण नहीं

पर्यावरण और जलवायु कार्यक्रम, ब्लूमबर्ग की भारत निदेशक प्रिया शंकर ने कहा कि, हमारे पास बहुत सारी अच्छी नीतियां हैं। लेकिन सही प्रकार की नीतियों के साथ आने के लिए सटीक डेटा प्राप्त करने के लिए हमें कड़े नियामक तंत्र और कम लागत वाले तरीकों को लागू करने की आवश्यकता है। रिसर्च स्कॉलर डॉ ग्रेगर कीसेवेटर का कहना था कि, भारत में वर्तमान नीतियां केवल आर्थिक विकास की भरपाई करेंगी, वायु प्रदूषकों के कारणों को कम नहीं करेंगी। वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों को कम करने के लिए कठोर नीतियों की आवश्यकता है।

वहीं मेदांता रोबोटिक संस्थान के सह अध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार ने बताया कि, वायु प्रदूषण आज एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल है। पहले, मेरे फेफड़ों के कैंसर के लगभग 5% रोगी धूम्रपान न करने वाले थे; अब उनमें से लगभग 50% धूम्रपान न करने वाले हैं। हालांकि, भारत में आज हर कोई धूम्रपान करने वाला है, जिसमें नवजात शिशु भी शामिल हैं, क्योंकि वे प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं। हमें इस पर और जागरूकता की जरूरत है.। एचईआई के अध्यक्ष डॉ डेनियल एस ग्रीनबाम ने कहा कि हमें न केवल वायु प्रदूषण, बल्कि इसके स्वास्थ्य प्रभावों के संदर्भ में सबसे अधिक प्रभाव वाले स्रोतों की पहचान करने की आवश्यकता है।

द जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ इंडिया के कार्यकारी निदेशक प्रो विवेकानंद झा ने कहा कि लगभग 6% वैश्विक मौतें बाहरी वायु प्रदूषण के कारण होती हैं। भारत 8-10% की सीमा में है, और बढ़ रहा है। डर यह है कि एक बार महामारी की स्थिति में सुधार होने पर, लोग अपने पुराने तरीकों पर वापस चले जाएंगे. क्योंकि आर्थिक गतिविधि इतना धीरे है, लोग वापस पटरी पर आने के लिए बेताब हैं। जब तक हम लोगों को बेहतर विकल्प नहीं देते, तब तक चीजें बेहतर होने पर वे अपने पुराने तरीकों पर वापस चले जाएंगे। टोयोटा कंपनी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट विक्रम गुलाटी ने कहा कि हमें जल्द से जल्द जीवाश्म ईंधन से हटने की जरूरत है। आज हम जो सड़कों पर डालते हैं, वही तय करेगा कि अब से 15 साल बाद क्या होगा. इसलिए हमें भविष्य पर ध्यान देने की जरूरत है।

-sponsored-

- Sponsored -

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

-sponsored-

Comments are closed.