सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड में भाजपा विधायक दल के नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि आज तकनीक का जमाना है तथा हर क्षेत्र में इसका बढ़-चढकर उपयोग किया जा रहा है। मरांडी ने गुरुवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर कहा कि शिक्षा का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। बच्चों की पढ़ाई को लेकर वैश्विक महामारी कोरोना के कारण जारी लाॅकडाउन में यह एक उपयोगी माध्यम में रूप में सामने आया है। कोरोना के कारण फिलहाल स्कूल बंद हैं। जो स्थिति दिख रही है कि अगस्त के पहले विद्यालयों के खुलने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। विद्यालय खुल भी गएं तो पूर्व की भांति सुचारू स्थिति आने में और वक्त लगने से इंकार नहीं किया जा सकता है। साथ ही इस बदली परिस्थति में विद्यालय में पठन-पाठन का क्या स्वरूप होगा, यह भी कोई बतलाने की स्थिति में नहीं है। जब तक कोरोना का वैक्सीन बाजार में नहीं आ जाता, तब तक स्थिति सामान्य होती नहीं दिखती है। यह सच है कि -शिक्षा कभी आफलाईन शिक्षा का विकल्प नहीं हो सकता है। परंतु इन सबके बीच यह भी तय है कि बदलते वक्त के साथ तकनीक की अपनी महत्ता है और समय के साथ इसकी उपयोगिता और बढ़ने ही वाली है। अब बच्चों की पढ़ाई का बड़ा हिस्सा तकनीक के सहारे ही निर्भर होगा।
मरांडी ने मुख्यमंत्री को लिखेे पत्र में कहा कि झारखंड सरकार भी इस स्थिति को बखूबी समझ रही है। इसलिए सरकार द्वारा भी लाॅकडाउन के दरम्यान सरकारी विद्यालयों में आनलाईन पठन-पाठन की व्यवस्था कराई गई। सरकार के इस आॅनलाईन व्यवस्था से लाखों बच्चें जुड़े भी हैं। परंतु सरकारी विद्यालयों के बच्चों के पास निजी स्कूलों के बच्चों के मुकाबले सुविधा का घोर अभाव है। निजी स्कूल के अधिकांशः बच्चें सुविधा संपन्न होते हैं। वहीं सरकारी स्कूलों के बच्चें के पास इस नई तकनीक के साथ पढ़ाई के लिए स्मार्टफोन सहित अन्य पर्याप्त संसाधन की कमी है। इस डिजिटल युग में अब स्मार्टफोन पढ़ाई से लेकर जीवन का हिस्सा बनता जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की समस्या भी अधिक होने के कारण आनलाईन पढ़ाई के लिए बच्चों के लिए स्मार्टफोन की आवश्यकता और बढ़ जाती है। सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले अधिकांशः बच्चें गरीब परिवार से आते हैं।
Read Also
बच्चों के लिए स्मार्टफोन उपलब्ध कराना इन परिजनों के लिए असंभव है। मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सभी गरीब बच्चों को स्मार्टफोन उपलब्ध कराना चाहिए। ताकि इस नए डिजिटल माहौल में गरीब बच्चों के लिए संसाधन बाधक नहीं बन सके। पढ़ाई से जुड़े विषय यूट्यूब और वीडियो के माध्यम से उसी फोन में अपलोड हों। साथ ही डाटा कंपनियों से बात कर जरूरत भर न्यूनतम डाटा भी उपलब्ध कराना चाहिए। निजी विद्यालय के बच्चें इस कोरोना काल में भी समय के साथ अपडेट चल रहे हैं और ऐसा नहीं हो कि संसाधनों की कमी के कारण सरकारी स्कूल के बच्चें पढ़ाई और तकनीक में काफी पीछे रह जाएं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री परिस्थति और बदलते जमाने के साथ राज्य के गरीब बच्चों को पढ़ाई के लिए संसाधन उपलब्ध कराना समय की जरूरत है। सरकारी विद्यालय के बच्चें भी निजी स्कूल के बच्चों से कमतर नहीं रहें, इसके लिए राज्य सरकार को बच्चों को सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए।
Comments are closed.