चाची के जाने से जीवन में आया खालीपन को सीएम ने किया उजागर
सिटी पोस्ट लाइव, रामगढ़: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने पिता दिसोम गुरु शिबू सोरेन के साथ अपने पैतृक गांव जिले के नेमरा में चाची दुखन बाला सोरेन के अंतिम संस्कार पहुंचे। यहां इन्होंने अपने परिजनों के साथ चाची के आकस्मिक निधन का दर्द बांटा। जितने भी रिश्तेदार उनसे मिलने वहां आए थे, सभी लोगों के साथ उन्होंने इस दर्द की घड़ी में धैर्य रखने को कहा। उन्होंने गांव के सभी परिजनों से भी मुलाकात की। अपनी चाची के पार्थिव शरीर को कंधा भी दिया और परंपरागत रीति रिवाज के साथ श्मशान घाट पहुंचे। भतीजा दयानंद सोरेन ने दी मुखाग्नि दुखन बाला सोरेन को उनके भतीजे दयानंद सोरेन ने मुखाग्नि दी।
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हालांकि अभी दुखन बाला के पति राजाराम सोरेन जीवित हैं, लेकिन उनका स्वास्थ्य सही नहीं रहने की वजह से लालू सोरेन के पुत्र दयानंद सोरेन ने यह जिम्मेदारी उठाई । दुखन का कोई बेटा नहीं था और वह अपने सारे भतीजे को बेटों की तरह ही प्यार किया करती थी। शिबू सोरेन ने भी इस दुख की इस घड़ी में गहरी संवेदना प्रकट की है। मौके पर उनके साथ पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर, विधायक ममता देवी, सीता सोरेन, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता शहजादा अनवर, झामुमो
के रामगढ़ जिला अध्यक्ष विनोद किस्कू सहित कई लोग मौजूद थे।
गमगीन माहौल में मुख्यमंत्री का चेहरा यह साफ बता रहा था कि वह अपनी चाची दुखन बाला सोरेन के कितने नजदीक थे। गांव पहुंचते ही शोक में डूबे मुख्यमंत्री सीधे परिजनों के पास ही पहुंचे। लोगों ने उन्हें भी ढांढस बंधाया। कुछ लोगों ने कहा कि विधि का विधान कभी टल नहीं सकता है। मुख्यमंत्री ने अपने जीवन काल में जितने भी सुखद पल चाची दुखन बाला सोरेन के साथ बिताए थे, उन सारे पलों को एकबारगी उन्होंने याद किया। अपने परिजनों के साथ उन बातों को भी साझा किया, जो शायद लोग नहीं जानते थे। उनकी गोद में खेले हुए पल और अपने जीवन की बुलंदियों के पीछे उनके आशीर्वाद की महत्ता को भी मुख्यमंत्री ने उजागर किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह उनकी मां उनका ध्यान रखती थी, उनकी चाची भी उन्हें उतना ही लाड करती थी। आज उनके जीवन में यह खालीपन आया है। शायद वह कभी भर नहीं पाएगा। लेकिन वे जब तक रहेंगे उनके दिलों में उनकी चाची का प्यार हमेशा हिलोरे मारता रहेगा।
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