सिटी पोस्ट लाइव, रांची: भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी और कोडरमा के उपायुक्त रमेश घोलप की कहानी रविवार को सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। आईएएस ने पति-पत्नी व गधे की कहानी के साथ ही प्रारंभिक दिनों की कठिनाई और बाजार में घूम-घूम कर चूड़ियां बेचने वाली मां की परेशानियों का जिक्र किया है।
“लड़ते रहो, गिरते रहो और आगे बढ़ते रहो….“
रमेश घोलप ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है- लोग क्या कहेंगे? यह सोच कई लोगों की प्रगती में बाधा बनी है। उन्होंने एक तस्वीर के माध्यम से बतायी गयी एक कहानी पढ़ी थी। इस कहानी में एक गधे को लेकर एक पति-पत्नी रास्ते से कही जा रहे थे। पहली तस्वीर में पति-पत्नी और गधा तीनों चल रहे थे। उनको देखकर लोग बोल रहे थे, ’कितने मूर्ख है ये? चलकर ही जाना था तो गधे का क्या उपयोग?’ दूसरी तस्वीर में वह दोनों गधे पर बैठ कर जा रहे थे। उसपर लोग बोल रहे थे, ’कितने निर्दयी लोग है, दोनों एक गधे पर बैठे है। उस बेचारे जानवर के बारें में कुछ भी नहीं सोचा।’ बीवी को गधे पर बिठाकर खुद साथ में चल रहे तीसरी तस्वीर में लोग कह रहे थे, ’देखो, बीवी का कितना गुलाम है। ’और चौथी तस्वीर में पति गधे पर बैठा था, बीवी साथ में चल रही थी। उस तस्वीर पर लोगों की प्रतिक्रिया थी, ’देखो कितना सेल्फीश है। बीवी को चला रहा है और खुद गधे पर बैठकर आराम से जा रहा है।’ समझने की बात यह है की कुछ लोगों को सिर्फ निगेटिव सोचने और बुराइयाँ निकालने की आदत होती है। उनपर ध्यान देने की जरुरत नहीं है। कई हुनरमंद युवाओं के प्रयासों में बाधा डालने का काम ये लोग करते है। जीवन का रास्ता खुद चुनना होता है और उस रास्ते पर खुद के साथ ईमानदार रहकर सफर करना चाहिये। रमेश घोलप ने कहा कि अगर आप किसी मूर्ख व्यक्ति के साथ बहस करेंगे तो वह आपको उसकी लेवल पर लाकर छोडेगा। अगर कोई आपके खिलाफ प्रचार कर रहा है तो उसको नजर अंदाज करके खुद की सफलता के लिये शिद्दत से मेहनत करना यही सबसे अच्छा जवाब है।
आईएएस अधिकारी ने बताया कि जब वे सरकारी शिक्षक बने थे, तो सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने के लिये 2010 में उन्होंने से नौकरी का इस्तीफ़ा दिया था। उस समय लोग कहते थे, ’पागल हो गया है ये, इसे रहने के लिये घर नहीं है, माँ चूड़ियाँ बेचती है और इसने अच्छी खासी सरकारी नौकरी का इस्तीफ़ा दिया।’ और आगे जाकर 2012 में जब वे आईएएस बना तो यही लोग बोलने लगे, ’हिम्मत और खुद के उपर का भरोसा क्या होता है ये रमेश घोलप से सीखो। सरकारी नौकरी का इस्तीफ़ा देने की हिम्मत दिखायी थी उसने। जो ठान लिया वह हासिल किया।’ ऐसे होते है कुछ लोग। लोग क्या कहेंगे यही सोचता रहता तो आज वे आईएएस नहीं होता।
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