बिरसा मुंडा पार्क में अश्लील हरकतों के कारण परिवारजनों का जाना हुआ मुश्किल
सिटी पोस्ट लाइव, रांची : शहर के लोगों के मनोरंजन, बच्चों के खेलने-कूदने और बुजुर्गों की चहलकदमी के लिए जिस उम्मीदों से बिरसा मुंडा पार्क की स्थापना की गई थी, आज वह सब धूमिल हो गई है। बच्चों और लोगों के मनोरंजन का अधिकांश समान टूट चुका है, कमाई के नाम पर संचालक द्वारा ही नकली टिकट की बिक्री कर फर्जीवाड़ा किया गया और पार्क में होने वाले अश्लील हरकतों के कारण बुजुर्गों और परिवारजनों के साथ चहलकदमी करना मुश्किल है। हाल के दिनों में पार्क का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें कई युवा जोड़ों को आपत्तिजनक स्थिति में देखा गया। बिरसा मुंडा पार्क जिला ग्रामीण विकास अभिकरण धनबाद के अधीन है। पार्क की चाहरदीवारी के अंदर होने वाली अश्लील हरकतों को लेकर दो वीडियो सामने आए हैं। इन दोनों में दो युगल जोड़े आपत्तिजनक स्थिति में नजर आ रहे हैं। पार्क के अंदर होने वाली इन हरकतों ने यहां की व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है। सवाल उठता है कि पार्क में लगे सीसीटीवी कैमरे काम करते भी हैं या नहीं। पार्क में तैनात सुरक्षा प्रहरियों के रहने और ना रहने का कोई औचित्य है या नहीं। इसके अलावा भी दर्जनों सवाल हैं जो धनबाद शहर के एक मात्र पार्क का बेड़ा गर्क करने के लिए काफी हैं।
टिकट के फर्जीवाड़ा का खुलासा : पिछले दिनों बिरसा मुंडा पार्क कमेटी की बैठक उपविकास आयुक्त शशि रंजन की अध्यक्षता में हुई थी। इस बैठक में पार्क संचालन में बरती जा रही अनियमितता का बड़ा खुलासा हुआ। संचालक द्वारा डुप्लीकेट टिकट की बिक्री की जा रही थी। नकली टिकट बेच कर संचालक ने विभाग को लाखों का चुना लगाया है। इसके अलावा पार्क के अधिकांश झूला टूट चुका है। फुलवारी भी ठीक नहीं है। वर्तमान में पार्क का संचालन कोलफील्ड कंट्रैक्ट नामक एक संस्था कर रही है। पार्क में गड़बड़ी की बात सामने आते ही संचालक को ऑडिट रिपोर्ट देने का आदेश दिया गया, लेकिन संचालक विभाग के इस आदेश पर ध्यान तक नहीं दिया। कोलफील्ड कंट्रैक्ट के प्रोपराइटर अशोक सिंह विभागीय कार्रवाई नहीं होने को लेकर आश्वस्त हैं। इन खामियों के संबंध में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि सभी कुछ दुरुस्त कर लिया जाएगा। कोई शो कॉज उनके पास नहीं आया है और ना ही आने वाला है। अश्लील हरकतों को लेकर उन्होंने कहा कि पार्कों में यह सब होना आम है। इस पर रोक लगायी जाएगी। बताते चलें कि नवंबर 2017 से पूर्व पार्क का संचालन सीधे तौर पर जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के द्वारा होता था। इसके बाद निविदा के माध्यम से पार्क को कोलफील्ड कांट्रैक्ट नामक संस्था को दिया गया। संस्था का चयन उपायुक्त की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान संस्थाओं ने पावर पाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से पार्क का लोकलुभावन प्रस्तुति दी थी। इसमें कोलफील्ड ने उपायुक्त के समझ काफी दावे किए थे, लेकिन एक साल पूरा होने से पहले ही संचालक का फर्जीवाड़ा और पार्क की स्थिति सामने आ गई है। डीडीसी के स्तर से पार्क की समीक्षा की गई है। काफी खामियां सामने आयी हैं। समीक्षा की प्रोसिडिंग तैयार की जा रही है। सोमवार को पार्क की स्थिति पर निर्णय लेकर संचालक के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाएगी।
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