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डाॅक्टर की राय- फेफड़ा में पहुंचने से पहले कोरोना का गंभीर इलाज जरूरी : डॉ. रई

एडवांटेज केयर मिशन हेल्थ की पहल

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सिटी पोस्ट लाइव : डॉ. एमजी रई पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल(पीएमसीएच) के चेस्ट एंड वैस्कुलर सर्जरी विभाग में डॉक्टर व फैकल्टी मेंबर हैं। इन्होंने एमजीएम मेडिकल कॉलेज(जमशेदपुर) से एमबीबीएस किया। उसके बाद पीएमसीएच से 1987 में एमएस(जनरल सर्जरी) किया। 1988 में बिहार सरकार की सेवा में आ गए। दानापुर-नौबतपुर के मेडिकल ऑफिसर इंचार्ज रहे। 2001 में पीएमसीएच के उपा धीक्षक बनाए गए। 2002 से पीएमसीएच के चेस्ट एंड वैस्कुलर में बतौर फैकल्टी काम शुरू किया। बिहार सरकार ने इन्हें एम्स, दिल्ली चेस्ट, वैस्कुलर एंड कार्डियक सर्जरी के लिए ट्रेनिंग के लिए चार माह के लिए भेजा। ट्रेनिंग के दौरान एम्स (दिल्ली)के वर्तमान निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया और उनके छोटे भाई भी थे। अर्थात साथ में तीनों ने ट्रेनिंग की। लेप्रोस्कोपी विधि की भी इन्होंने ट्रेनिंग ली। पटना में ये पहले सर्जन हैं जिन्होंने लेजर विधि से गुदा क्षेत्र की सर्जरी शुरू की। डॉ. रई राजा बाजार में अपना क्लीनिक भी चलाते हैं।

प्रश्न: कोरोना से काफी डॉक्टरों की जान गई। इसका मुख्य कारण क्या मानते हैं?

उत्तर: 15 से 20 प्रतिशत मरीजों में कोरोना के गंभीर लक्षण हुए। मेरा मानना है कि कोरोना लक्षण के पांचवें दिन से गंभीर इलाज शुरू हो जानी चाहिए। क्योंकि शुरुआत के पांच दिन वायरस मुंह, नाक और गला में रहता है। फिर फेफड़ा में उतर जाता है। फेफड़ा में एक विशेष रिसेप्टर होता है, जो व्यस्कों में विकसित होता है। कोरोना वायरस का उस रिसेप्टर की ओर खिंचाव होता है और वायरस उस ओर आ जाता है। ऐसे में पांचवे दिन से गंभीर इलाज की जरूरत होती है। लेकिन आरटी पीसीआर जांच रिपोर्ट ही दो-तीन दिन बाद आता है। इस तरह सात -आठ दिन गुजर जाता है। इस वजह से गंभीर इलाज शुरू नहीं हो पाता है। यह देर डॉक्टरों के इलाज में भी हुआ। इसलिए इतनी जानें गईं। कोरोना की वजह से रक्त भी जमता है। गंभीर इलाज में एंटी बॉयोटिक, खून पतला होने की दवा और स्टेरॉयड शामिल है।

प्रश्न: हमारे पड़ोसी मुल्कों में कोरोना का कहर उतना नहीं रहा, जितना भारत में। क्या कारण हो सकता है?

उत्तर: पहली लहर के बाद सरकार और लोग अपना पीठ थपथपाने लगे कि कोरोना नियंत्रित कर लिया। कहा गया कि हिन्दुस्तानियों की इम्युनिटी बेहतर है। ऐसे में लोग लापरवाह हो गए। कोरोना का गाइडलाइन पालन करना भूल गए। यहां जनसंख्या में भी ज्यादा है। दूसरी लहर में इतने लोग एक साथ पड़ेंगे इसका अंदाजा नहीं था। उसके अनुसार तैयारी नहीं थी। फिर लोग बड़ी संख्या में एक जगह से दूसरी जगह पलायन करने लगे। यह आना-जाना लगा रहा। इसलिए इस बार गांव में भी फैला। पड़ोसी देशों में आबादी कम है।

प्रश्न: चीन से कोरोना पूरी दुनिया में फैला। लेकिन आज वो बेहतर स्थिति में है और पूरी दुनिया परेशान है। क्या कारण हो सकता है?

उत्तर: चीन में मीडिया नियंत्रित है। इसलिए वहां की बातें दुनिया में आ नहीं पाती है। कहा जाता है कि कोरोना काल में वहां बहुत सारी अमानवीय घटना घटी। यह भी माना जा रहा है कि कोरोना चीन के द्वारा छोड़ा गया एक तरह का रसायनिक हथियार है।

प्रश्न: भारत में कोरोना से काफी ज्यादा मौतें हुई। मृत्यु के मामले भारत विश्व में टॉप -3 देशों में है। क्या वजह हो सकता है?

उत्तर: भारत में जनसंख्या का घनत्व ज्यादा है। यहां शिक्षा और जागरूकता का भी अभाव है। स्वास्थ्य संसाधन भी बेहतर नहीं है। कोरोना की दूसरी लहर ने आईना दिखाया है कि आपके स्वास्थ्य संसाधन अच्छे नहीं है।

प्रश्न: कोरोना निगेटिव होने के बाद भी कई माह तक समस्या रह रही है। क्या करें लोग?

उत्तर: कोरोना वायरस हमारे शरीर में 15 दिन तक जीवित रह सकता है। इसी दरम्यान वह हमारे शरीर के विभिन्न अंगों को काफी क्षति पहुंचा देता है। कोरोना की वजह से शरीर में हाइपर इम्यून रिएक्शन होता है। इससे साइटोकाइन स्टॉर्म होता है। यह शरीर के विभन्न अंग पर बुरा असर डालता है। इसलिए निगेटिव होने के बाद भी बीच-बीच में दो-तीन माह तक साइटो काइंड स्ट्रोर्म की जांच कराते रहना चाहिए। जांच में जो बढ़ा हुआ मिले उसके नार्मल होने तक जांच कराते रहने चाहिए।

प्रश्न:कोरोना से बचने का क्या उपाय हो सकता है?

उत्तर: कोरोना से बचना बहुत आसान है। कोरोना गाइडलाइन का पालन करें और टीकाकरण जरूर कराएं। जब तक सारे लोगों का टीकाकरण नहीं हो जाता तब कोरोना गाइडलाइन का पालन करें। छह माह बाद कोरोना टीका का तीसरा बूस्टर डोज भी लें। कोवैक्सीन मृत वायरस से बनाया गया है जबकि कोविशील्ड स्पाइट प्रोटीन से।

प्रश्न: तीसरी लहर पर क्या कहेंगे? कितनी आशंका है?

उत्तर: तीसरी लहर तो आएगी ही, चौथी लहर आने की भी संभावना है।

प्रश्न: कहा जा रहा है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक होगा। आप क्या सोचते हैं?

उत्तर: बच्चों खासकर 12 वर्ष तक के बच्चों में साइटोकाइन स्टॉर्म आने की संभावना कम होती है। ऐसे में बच्चे कोरोना के हल्के लक्षण के ही शिकार होंगे। लेकिन इनसे बड़ों में वायरस हस्तानांतरित होने की आशंका होगी।

प्रश्न: आपकी हॉबी क्या है? इलाज के अलावा क्या करना पसंद करते हैं?

उत्तर: फोटोग्राफी का मुझे शौक है। यात्रा करना भी अच्छा लगता है। इसलिए हर वर्ष एक बार में देश और विदेश के भ्रमण पर निकलता हूं।

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