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बड़ा खुलासा: फर्जी कोचिंग संस्थानों की भरमार, अच्छा और बुरा में फर्क कर पाना मुश्किल

अब सिटी पोस्ट लाइव की एजुकेशनल रिसर्च टीम बतायेगी, कौन है फर्जी, कौन बेहतर कोचिंग संस्थान

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सिटी पोस्ट लाइव :  बिहार की 80 फीसदी आबादी खेती पर निर्भर है. लेकिन आजतक खेती एक इंटरप्राइजिंग बिज़नेस नहीं बन पाया . खेती अब घाटे की सौदा बन गई है. अब इसीलिए हर किसान अपने बच्चों को खेती में खेती से दूर भगाना चाहता है. सब यहीं चाहते हैं कि उनका बच्चा पढ़ लिखकर सरकारी नौकरी करे.इसलिए हर बिहारी का, चाहे वह खेतिहर किसान हो या फिर मजदूर एक आधी रोटी खाकर भी अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने का सपना देखता है. उसके इसी सपने को कुछ लोगों ने कारोबार बना लिया है. ये लोग कोई और नहीं बल्कि कोचिंग संस्थानों के संचालन  करनेवाले लोग हैं. हर हर गली मोहल्ले में कोचिंग सेंटर खुल गए हैं. सबके बड़े बड़े दावे हैं .लेकिन सिटी पोस्ट लाइव की एजुकेशन रिसर्च टीम इस नतीजे पर पहुंची है कि ज्यादातर कोचिंग इन्स्तिच्यूट्स के दावे फर्जी है. दरअसल, जेईई, आईआईटी मेन परीक्षा हो या एडवांस्ड परीक्षा या कोई दूसरी प्रतियोगी परीक्षा उसमे सफल होनेवाले ज्यादातर छात्र किसी कोचिंग के नहीं हैं. उन्होंने अपनी मेहनत और सेल्फ स्टडी के बल पर सफलता प्राप्त की है.

सिटी पोस्ट लाइव की रिसर्च टीम इस नतीजे पर पहुंची है कि ज्यादातर फर्जी कोचिंग वाले इन्हीं सफल छात्रों को हायर कर ,उन्हें अपने कोचिंग का प्रोडक्ट बताकर लाखों छात्रों को अपने जाल में फंसा लेते हैं.सेल्फ स्टडी के बल पर सफल ईन  छात्रों को अपना हथकंडा बनाकर उनकी तस्वीरें अपने विज्ञापन में छपवाकर आसानी से भोले भले लोगों को आकर्षित कर लेते हैं. पहले भी एक ही छात्र पर एकसाथ कई कोचिंग संस्थानों द्वारा अपना छात्र होने के झूठे दावे के मामले सामने आ चुके हैं. अपनी मेहनत और सेल्फी स्टडी के बल पर सफल होनेवाले छात्रों को दरअसल ईन कोचिंग संस्थानों द्वारा खरीदने के लिए डाक लगता है. कोई आगे की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने का दावा करता है तो कोई लाखों लाख ईनाम देने का लालच देकर इन्हें अपना छात्र बना लेता है. फिर उनकी तस्वीर अपने विज्ञापन में इस्तेमाल कर हर साल लाखों छात्रों को अपने जाल में फांस  लेते हैं. जबतक छात्रों को सच्चाई का पता चलता है, तबतक बहुत देर हो चूका होता है.

जेईई, आईआईटीमेन परीक्षा हो या एडवांस्ड परीक्षा या कोई अन्य परीक्षा. इन दिनों शहर में हर कुछ कदम प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करवाने की दुकान खुली हुई है. कुछ संस्थानों को छोड़ दें तो बाकी सभी छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर पैसा कमाने में लगे हैं. प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता के सपने लिए शहर में आए बच्चों को ये फांस रहे हैं. दरअसल, कौन अच्छा और कौन खराब कोचिंग है, जानने के लिए विज्ञापनों के अलावा और कोई तरीका उपलब्ध नहीं है. छात्रों को गाइडेंस देने के लिए यानी ये बताने के लिए कि कौन अच्छा और कौन ख़राब कोचिंग है ,बताने के लिए खुली कंसल्टिंग एजेंसियां भी ईन फर्जी कोचिंग संस्थानों के एजेंट बन गई हैं. जो ज्यादा कमीशन देता है, उसे अच्चा बता देती हैं.राजधानी पटना में कई ऐसी कंसल्टिंग एजेंसियां हैं जिनका कारोबार  देखते ही देखते करोड़ों में पहुँच गया है.

माता-पिता भी बच्चों की पढ़ाई से समझौता नहीं करते और उनका भविष्य सुधारने के लिए कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार रहते हैं और उनके इसी मनोभाव का फायदा ये फर्जी कोचिंग उठाते हैं. उन्हें बड़े बड़े सपने दिखाकर उनका सबकुछ पैसा, भविष्य और सालों  का कीमती समय लूट लेते हैं. बड़े बड़े नेताओं, मंत्रियों और अधिकारियों को अपने कार्यक्रमों में बुलाकर , उनके साथ अपनी तस्वीर और मन-माफिक खबरें छपवा कर अपनी साख इस कदर जमा चुके हैं कि आम आदमी उस चकाचौंध में असलियत को नहीं देख और पहचान पा रहा है. वैसे अगर आप IIT ,JEE  जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल विद्यार्थियों के द्वारा अपनी सफलता के बताये गए राज पर पर गौर फ़रमायेगें तो खुद समझ जायेगें कि सफलता का राज इन कोचिंग संस्थानों में नहीं बल्कि सेल्फ स्टडी में ही छिपा है. जेईई मेंस में 50 प्रतिशत सफल छात्र ऐसे हैं जिन्होंने सिर्फ सेल्फ स्टडी की है. उन्होंने कभी  हर चार कदम पर खुले इन कोचिंग संस्थानों पर कभी भरोसा नहीं किया . विभिन्न आईआईटी द्वारा तैयार रिपोर्ट के आंकड़े भी यहीं बता रहे हैं कि जेईई मेन, एडवांस्ड या फिर अन्य इंजीनियरिंग प्रतियोगिता की तैयारी के लिए ज्यादातर बच्चे कोचिंग के बजाय सेल्फ स्टडी करते हैं.

वर्ष 2012 से 2016  के बीच सफल होनेवाले ज्यादातर छात्र सेल्फ स्टडी करनेवाले हैं . कोचिंग, ट्यूशन की सहायता से तैयारी करनेवाले सफल छात्र दूसरे नंबर पर हैं. सफल होने वाले छात्रों में सबसे ज्यादा सीबीएसई बोर्ड या फिर बिहार बोर्ड के छात्र  हैं. इसका ये मतलब कतई ये नहीं कि सारे कोचिंग बेकार हैं .कुछ अच्छे भी हैं लेकिन उनकी संख्या उंगुलियों पर गिनी जा सकती है .

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