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आपको हिलाकर रख देगी इतिहास रचने वाले साकिबुल की संघर्ष की कहानी .

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सिटी पोस्ट लाइव :बिहार के मोतिहारी के साकिबुल बिहार की पहचान बन गये हैं.फर्स्ट क्लास क्रिकेट के डेब्यू मैच में ट्रिपल सेंचुरी बनाकर वो क्रिकेट की दुनिया में एक नया रिकॉर्ड बना चुके हैं. आज दुनिया भर में उनकी चर्चा है, लेकिन इस कामयाबी के पीछे एक लम्बे संघर्ष की उनकी कहानी भी है.एक ज़माना था जब बिहार के इस क्रिकेटर के पास कभी बैट खरीदने के लिए पैसे तक नहीं होते थे. मां ने अपने गहने गिरवी रख कर बेटे को बैट दिलाकर उसके सपने को जिंदा रखा.

एक अच्छे बैट की कीमत 30 से 35 हजार रुपए थी जिसे खरीदना एक मध्यम वर्गीय परिवार के लिए एक सपने जैसा था, लेकिन मां-पिताजी ने पैसे को कभी भाई के क्रिकेट में बाधा नहीं बनने दिया. जब भी आर्थिक समस्या आती तो मां अपना गहना तक गिरवी रख देती थीं. साकिबुल जब रणजी ट्रॉफी खेलने जा रहे थे, तब मां ने उन्हें तीन बैट दिए और बोलीं- जाओ बेटा तीन शतक लगा कर आना.साकिबुल गनी के पिता मो. मन्नान जन वितरक प्रणाली के तहत डीलर का काम करते हैं. उन्होंने बताया कि उसे बचपन से ही क्रिकेट को लेकर दीवानगी थी. सात साल का था तभी से अपने बड़े भाई फैसल गनी के साथ गांधी मैदान में खेलने जाता था. साकिबुल गनी चार भाई हैं. चारों भाइयों में वो सबसे छोटे हैं. इनके बड़े भाई फैसल गनी भी फास्ट बॉलर हैं.

साकिबुल बिहार अंडर-23, मुश्ताक अली (20-20) क्रिकेट टूर्नामेंट और विजय हजारे (50-50) ट्रॉफी में भी अपनी काबिलियत साबित कर चुके हैं. बिहार अंडर-23 के लिए 306, 281 और 147 रन की पारी के बूते अलग छाप छोड़ी थी.विजय हजारे ट्रॉफी में बिहार के लिए 113 व 94 रन और मुश्ताक अली में भी एक अर्धशतकीय पारी खेली थी. इसके अलावा कई मौकों पर गेंदबाजी में भी उन्होंने अपना दम दिखाया है.जिला क्रिकेट एसोसिएशन के ज्ञानेश्वर गौतम ने बताया कि शुरू से ही साकिबुल शानदार व हरफनमौला खिलाड़ी रहा है. उसने अपने खेल में लगातार निखार लाते हुए पिछले दो-तीन सत्र से BCCI की ओर से आयोजित टूर्नामेंट में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है. साकिबुल की इस उपलब्धि पर आज पूरा बिहार गौरवान्वित महसूस कर रहा है.

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