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नीतीश मंत्रिमंडल के विस्तार में कहां फंसा है पेंच, जानिए

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सिटी पोस्ट लाइव : जनवरी महीना ख़त्म होनेवाला है लेकिन अभीतक नीतीश कैबिनेट का विस्तार नहीं हो पाया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कईबार साफ़ कर चुके हैं कि ये देर बीजेपी की वजह से हो रहा है. मंगलवार को बीजेपी के प्रदेश प्रभारी भूपेंद्र यादव पटना पहुंचे हुए हैं. कल से ही वो पार्टी नेताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं. माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल के विस्तार में फंसे पेंच सुलझाने आये हैं. लेकिन आज बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने साफ़ कह दिया है कि मंत्रिमंडल विस्तार में कोई देर नहीं हुई है. जाहिर है बीजेपी और जेडीयू के बीच अभीतक पेंच फंसा हुआ है.

दरअसल, JDU और BJP के नेता मंत्रिमंडल विस्तार से पहले BJP से अपने सभी मसलों को सुलझा लेना चाहते हैं. JDU की मुश्किल ये है कि पार्टी अभी BJP के मुकाबले बहुत कमजोर है. आगे चलकर मुश्किल और न बढ़े  इसलिए JDU केंद्रीय मंत्रिमंडल, राज्यपाल कोटे के MLC मनोनयन के साथ आयोग, बोर्ड, निगम का बंटवारा पहले चाहता है. यही वजह है कि बिहार कैबिनेट विस्तार की तारीख बढ़ती जा रही है। अबतक 28 जनवरी की तारीख आ रही थी, अब कहा जा रहा है कि 31 जनवरी तक कभी भी कैबिनेट का विस्तार हो सकता है.

प्रदेश मंत्रिमंडल विस्तार से पहले JDU आलाकमान सभी  मसलों को BJP के साथ सुलझा लेना चाहता है.प्रदेश मंत्रिमंडल विस्तार से पहले पार्टी तीन और मामलों पर BJP से समझौता करना चाहती है. JDU अब चाहता है कि प्रदेश मंत्रिमंडल विस्तार से पहले राज्यपाल कोटे की 12 सीटों के लिए विधान परिषद मनोनयन को फाइनल कर लिया जाए. इस बार 5 ही सीट JDU के खाते में आएंगी.ईन पांच नामों का चयन कर पाना JDU के लिए बहुत आसान नहीं है क्योंकि दावेदार कई हैं.

निगम, बोर्ड और आयोग के बंटवारे को लेकर भी पेंच फंसा हुआ है. JDU सरकार में बीस सूत्री, निगम, बोर्ड और आयोग का भी बंटवारा अभी ही चाहता है.पिछली सरकार में नीतीश कुमार ने आखिरी वक्त तक इसका निर्णय नहीं लिया था. बिहार में 100 से भी ज्यादा बोर्ड, निगम और आयोग हैं. राजनीतिक दलों के दूसरी पंक्ति के नेताओं को बोर्ड, निगम और आयोगों में चेयरमैन बनाए जाने की परिपाटी रही है. तीन साल से ज्यादा का वक्त हो गया है, अभी तक कुछ को छोड़ कर लगभग सभी आयोग रिक्त पड़े हैं. अब उम्मीद जताई जा रही है कि नई सरकार में इन सभी का रिक्त पद भरा जाएगा. दोनों दल बाकी हिस्सेदारी तय करने के बाद इसपर आएंगे.

केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी इसबार JDU अपना  हिस्सा चाहता है. 2019 लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में सांकेतिक तौर पर शामिल होने के ऑफर को ठुकरा चुका JDU अब केंद्रीय मंत्रिमंडल में अनुपातिक तौर हिस्सेदारी चाहता है. पार्टी अब राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, संतोष कुशवाहा और चंद्रेश्वर चंद्रवंशी को केंद्र में मंत्री बनाना चाहती है.JDU ने मंत्रिमंडल विस्तार के लिए नामों की एक फेहरिस्त बना ली है। मंत्रिमंडल विस्तार में सामाजिक समीकरण को प्राथमिकता देते हुए नेताओं की लिस्ट तैयार की जा रही है.नए तेज तर्रार लोगों को इसबार पार्टी मौका देना चाहती है.

BJP के कई पूर्व मंत्रियों का पता साफ हो सकता है. BJP इस बार युवाओं को ज्यादा मौका देना चाहती है. कुछ युवा नाम, जो सबसे ज्यादा चर्चा में हैं – राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन, अंतरराष्ट्रीय शूटर व जमुई विधायक श्रेयसी सिंह, पूर्व मंत्री व झंझारपुर विधायक नीतीश मिश्रा, दरभंगा विधायक संजय सरावगी, बरौली विधायक रामप्रवेश राय, बांकीपुर विधायक नितिन नवीन, बनमनखी के कृष्ण कुमार ऋषि, मोतिहारी के प्रमोद कुमार, मधुबन से राणा रणधीर, बांका से रामनारायण मंडल, बेनीपट्टी से विनोद नारायण झा, MLC सम्राट चौधरी भी मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं.

बिहार की नई NDA सरकार में BJP के विधायकों की संख्या अधिक है. लिहाजा JDU के बड़े भाई की भूमिका में BJP को अधिक विभागों की जिम्मेदारी मिलना तय माना जा रहा है. पिछली सरकार में JDU कोटे से मुख्यमंत्री को मिलाकर 22 विधायक मंत्री थे तो BJP में उप मुख्यमंत्री समेत 13 विधायक ही मंत्री बने थे. इस बार मंत्रिमंडल विस्तार में BJP के 12 और विधायक मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. इस तरह BJP के कुल 19 मंत्री हो जाएंगे. वहीं, JDU के चार विधायक अभी मंत्रिमंडल में शामिल हैं. 11 और विधायक मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. बिहार सरकार में कुल 44 विभाग हैं, लेकिन मंत्रियों के लिए सिर्फ 36 पद ही स्वीकृत किए गए हैं. वजह कि विधानसभा की कुल सीटों के 15 प्रतिशत ही मंत्री हो सकते हैं इसलिए जो विभाग बच जाते हैं, वो मुख्यमंत्री के जिम्मे ही होते हैं.अब देखना ये है कि इस महीने मंत्रिमंडल विस्तार हो पाता है या नहीं.

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