सिटी पोस्ट लाइव : Chaiti Chhath Puja 2021: चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान कल से शुरू हो रहा है.चैत्र शुक्ल चतुर्थी तिथि ( 16 अप्रैल ) से नहाय खाय के साथ व्रत का अनुष्ठान शुरू हो रहा है.लोक आस्था का यह महा-पर्व पूर्वी भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है.पिछले साल की तरह ही इस बार भी कोरोना के बढ़ते खतरे की वजह से गंगा घाट पर अर्ध्य देने पर पाबंदी है. पटना के जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर ने पटना के गंगा घाटों तलाबों में छठ अर्ध्य नहीं देने की अपील छठव्रतियों से की है. इसके लिये पटना और आसपास के सभी गंगा घाटों तलाबों पर पुलिसबलों की तैनाती भी कर दी है.
छठ ठ पूजा मुख्य रूप से प्रत्यक्ष देव भगवान भास्कर की उपासना का पर्व है. वर्ष में कुल दो छठ महापर्व होते हैं जिसमें पहला चैत्र मास में, तो दूसरा कार्तिक मास में आता है. यही नहीं, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठ सूर्यदेव की बहन हैं.मान्यता है कि छठ पर्व में सूयोर्पासना करने से छठ माता प्रसन्न होती है और परिवार में सुख, शांति, धन, धान्य से परिपूर्ण करती है. हालांकि इस बार कोरोना की बढ़ती रफ्तार के कारण गंगा घाटों पर जाकर अर्ध्य देने पर पाबंदी है. जबकि पटना जिलाधिकारी ने इस बाबत निर्देश भी जारी किए हैं.
16 अप्रैल को रवियोग और सौभाग्य योग के युग्म संयोग में नहाय खाय के साथ छठ महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान शुरू होगा. 17 अप्रैल को शोभन योग में खरना की पूजा होगी. छठ महापर्व के प्रथम दिन नहाय खाय में लौकी की सब्जी,अरवा चावल, चने की दाल और आंवला की चाशनी के सेवन का खास महत्व है. 18 अप्रैल को रविवार दिन के साथ रवियोग में भगवान भास्कर को सायंकालीन अर्घ्य तथा सुकर्मा योग में व्रती प्रात:कालीन अर्घ्य देकर व्रत को पूर्ण करेंगे. यह पर्व पारिवारिक सुख समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रती पूरे विधि विधान से छठ का व्रत करेंगी. इस पर्व को करने से रोग, शोक भय आदि से मुक्ति मिलती है. छठ व्रत करने की परंपरा ऋग्वैदिक काल से ही चली आ रही है.
सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्यता सौभाग्य और संतान के लिए किया जाता है. स्कंद पुराण के मुताबिक, राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत रखा था. उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था. भगवान भास्कर से इस रोग की मुक्ति के लिए उन्होंने छठ व्रत किया था. स्कंद पुराण में प्रतिहार षष्ठी के तौर पर इस व्रत की चर्चा है. वर्षकृत्यम में भी छठ की चर्चा है.
छठ महापर्व के प्रथम दिन नहाय खाय में लौकी की सब्जी,अरवा चावल, चने की दाल और आंवला की चाशनी के सेवन का खास महत्व है. वैदिक मान्यता है कि इससे पुत्र की प्राप्ति होती है. वही, वैज्ञानिक मान्यता है कि गर्भाशय मजबूत होता है. खरना के प्रसाद में ईख के कच्चे रस, गुड़ के सेवन से त्वचा रोग और आंख की पीड़ा समाप्त हो जाती है. वहीं इसके प्रसाद से तेजस्विता, निरोगिता व बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है.प्रत्यक्ष देव भगवान भास्कर को सप्तमी तिथि अत्यंत प्रिय है. विष्णु पुराण के अनुसार तिथियों के बंटवारे के समय सूर्य को सप्तमी तिथि प्रदान की गई इसलिए उन्हें सप्तमी का स्वामी कहा जाता है. सूर्य भगवान अपने इस प्रिय तिथि पर पूजा से अभिष्ठ फल प्रदान करते हैं.
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