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देवी की पूजा के लिए सवर्णों के साथ होता है महा-दलितों का महा-युद्ध

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देवी की पूजा के लिए सवर्णों के साथ होता है महा-दलितों का महा-युद्ध

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार  के शेखपुरा  में नवरात्रि के मौके पर एक दुर्गा मंदिर में एक विशेष पूजा का आयोजन होता है.माता की पूजा करने के लिए महादलित और सवर्णों के बीच ‘महायुद्ध’ होता है.इस महायुद्ध के अंत में महादलितों को मंदिर में प्रवेश मिल जाता है.महादलित महायुद्ध के बाद मां महेश्वरी का पूजा अर्चना करते हैं.सबसे ख़ास बात इस युद्ध का मकसद घृणा द्वेष फैलाना नहीं बल्कि दलितों को मंदिर में प्रवेश का अधिकार दिलाना होता है. सवर्ण जाति के लोग मंदिर में पूजा पाठ में दलितों का सहयोग करते हैं. यह परंपरा सैकड़ों वर्ष से चली आ रही है.

इस परंपरा की शुरुवात शेखपुरा जिले में मेहूस गांव से हुई जो आजतक चलती आ रही है. यहां मां महेश्वरी के मंदिर में प्रत्येक वर्ष नवमी के मौके पर सवर्ण और महादलितों के बीच पूजा को लेकर महायुद्ध देखने के लिए काफी संख्या में लोग आते हैं. इस मंदिर में महादलित प्रवेश करना चाहता है लेकिन सवर्ण जाति के लोग मंदिर में उन्हें प्रवेश करने नहीं देते हैं. इस कारण दोनों पक्षों के बीच ‘महायुद्ध’ होता है. लेकिन अंत में महादलित मंदिर में प्रवेश कर जाते हैं और पूजा अर्चना शुरू हो जाती है.

सवर्ण जातियों का मानना है कि यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है. यहां महादलित पूजा के लिए मंदिर में प्रवेश करने के दौरान सवर्णों से युद्ध करते हैं. फिर आपसी सहमति से सभी लोग मंदिर में प्रवेश करते हैं और पूजा करते हैं. मां महेश्वरी की कृपा से पूरे गांव में उन्नति और प्रगति रहती है. सवर्ण जाति के लोगों ने कहा कि प्रतिवर्ष हर्षोल्लास के वातावरण में ये त्योहार मनाया जाता है.मंदिर के पुजारी जनार्दन पांडेय का कहना है कि कि मां महेश्वरी की पूजा अर्चना जो भी श्रद्धालु करते हैं और मन्नत मांगते हैं वह सभी मन्नतें पूरी हो जाती हैं. इस परंपरा का पालन प्रत्येक वर्ष दशहरे के मौके पर किया जाता है.

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