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तेजस्वी यादव से क्यों नाराज हैं शिवानंद तिवारी?

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तेजस्वी यादव से क्यों नाराज हैं शिवानंद तिवारी?

सिटी पोस्ट लाइव : चुनावी अखाड़े में कमजोर होने के वावजूद बिहार की सियासत में एक ख़ास पहचान और महत्त्व रखनेवाले नेता शिवानंद तिवारी ने आरजेडी के राष्ट्रिय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. सबके जेहन में ये सवाल उठ रहा है आखिर राजनीति के आखिरी पड़ाव में शिवानंद तिवारी को ऐसा क्यों करना पड़ा. हर वक्त लालू यादव के विरोधियों पर आग उगलने वाले श्री तिवारी का आखिर क्यों आरजेडी से मोहभंग होने लगा है.राजनीतिक गलियारे में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि आरजेडी में पुराने अनुभवी  नेताओं की कोई पूछ नहीं हो रही है. रघुवंश प्रसाद सिंह, शिवानन्द तिवारी या अब्दुलबारी सिद्दकी हों या फिर कांटी सिंह अपनी उपेक्षा का लगातार संकेत देते रहे हैं.

ये सभी नेता तेजस्वी यादव के स्टैंड के खिलाफ हमेशा अलग बयान देते रहे हैं.जब भी मौका मिला तेजस्वी यादव के नेत्रित्व पर उनकी राजनीतिक समझ को लेकर सवाल उठाते रहे हैं.रघुवंश प्रसाद सिंह हों या शिवानंद तिवारी और अब तो आलोक मेहता भी नीतीश कुमार को महागठबंधन में लेने की बात करते रहे हैं.शिवानन्द और रघुवंश प्रसाद तो खुल्लेयाम कहते रहे हैं कि बीजेपी को शिकस्त देने के लिए नीतीश कुमार का साथ बेहद जरुरी है.लेकिन उनकी भावनाओं और राजनीतिक समझ को तेजस्वी यादव नजर-अंदाज करते रहे हैं. वो लगातार नीतीश कुमार को नो इंट्री का बोर्ड दिखाते रहे हैं.शायद यहीं वजह है कि शिवानंद तिवारी तेजस्वी यादव पर खुलकर निशाना भी साध चुके हैं.पार्टी सदस्यता अभियान में राबडी देबी के सामने उन्होंने लोक सभा चुनाव के बाद तेजस्वी के गायब होने को लेकर सवाल उठाया था.उन्होंने यहाँ तक कह दिया था कि अपने को शेर का बच्चा कहते हैं. शेर का बच्चा मैदान में दहाड़ता है, मांड में नहीं छुपता.

पार्टी सूत्रों के अनुसार शिवानन्द तिवारी से नाराज तेजस्वी यादव ने उन्हें पार्टी की तमाम गतिविधियों से दूर कर दिया था. उन्हें पार्टी की बैठकों की जानकारी तक देनी बंद कर दी थी.उपचुनाव में भी तेजस्वी ने चुनाव प्रचार करने का मौका उन्हें नहीं दिया. ये दीगर बात है कि इसके वावजूद शिवानन्द तिवारी ने खुद दरौंदा विधानसभा क्षेत्र जाकर पार्टी उम्मीदवार के लिए वोट मांगे .लेकिन  उनके साथ पार्टी का एक भी कार्यकर्ता उनके चुनाव प्राचार में शामिल नहीं हुआ. इस प्रकरण के बाद उन्होंने पार्टी के उम्मीदवार को लेकर भी तेजस्वी और लालू तक अपनी नाराजगी जाहिर की थी. लेकिन पार्टी ने कोई नोटिस तक नहीं लिया.

अब शिवानन्द तिवारी ने सोशल मीडिया के जरिये पार्टी को यह संदेश दे दिया है कि वो पार्टी की जिम्मेवारियों से अब छुट्टी लेना चाहते हैं .उन्हें थोड़े आराम की जरूरत है.जाहिर है कि शिवानन्द तिवारी पार्टी के पद से मुक्त होना चाहते हैं.शिवानन्द तिवारी के नाराजगी या पार्टी छोड़ने से आरजेडी को वोट का कोई नुकशान तो नहीं होगा लेकिन ये सवाल जरुर उठेगा कि  क्या तेजस्वी पार्टी के सीनियर नेताओं को तवज्जो नहीं दे रहे? क्या वाकई तेजस्वी अपने सीनियर्स की कद्र नहीं करते? क्या वाकई आरजेडी में जेनेरेशन गैप है? वैसे भी रघुवंश प्रसाद सिंह,अब्दुलबारी सिद्दकी और कांटी सिंह भी पार्टी में सहज नहीं दिख रहे हैं.उनकी पार्टी में आगामी विधान सभा चुनाव में क्या भूमिका होगी, कह पाना मुश्किल है.

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