सिटी पोस्ट लाइव : बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा को कुल 74 सीटें मिली तो वहीं राजद 75 सीटों के साथ बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बन गई. इसके साथ ही तेजस्वी यादव का कद भी बहुत बढ़ गया. लेकिन इन सब में जो तीसरे नंबर पर रहे वो सीएम नीतीश की पार्टी जदयू, जिसे 43 सीटें ही मिल पाई. हालांकि NDA को जरुर जनता ने बहुमत दे दिया हो लेकिन नीतीश कुमार को एक प्रकार से सिरे से ख़ारिज भी कर दिया. इसका ठीकरा जदयू भले ही पीएम मोदी के हनुमान चिराग पासवान के सर फोड़ रहे हों लेकिन हकीकत तो यही है कि जदयू को मात्र 43 सीटें ही मिली.
जदयू को मिले इतने कम सीट के बाद बिहार के सियासी हलकों में यह सवाल सामने आने लगे कि क्या सीएम नीतीश नैतिकता के आधार पर कुर्सी कही त्याग तो नहीं देंगे. या भाजपा अपनी पार्टी के सीएम उम्मीदवार को सामने तो नहीं करेंगे. लेकिन इस बात पर विराम 10 तारीख की रात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने लगा दी. उन्होंने प्रेस कांफ्रेस में सा कर दिया कि सीएम का निर्णय पहले ही पीएम मोदी और अमित शाह कर चुके हैं. ऐसे में नीतीश के सीएम न बनने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता.
इसके बावजूद सीएम नीतीश खामोश हैं. ये बात लगातार उठने लगे हैं कि आखिर सीएम नीतीश खामोश क्यों हैं. चुनाव परिणाम आये 12 घंटे से अधिक हो गए लेकिन नीतीश कुमार की चुप्पी बरकरार है। एनडीए की जीत की खुशी में उन्होंने एक शब्द भी नहीं निकाले हैं. मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया के माध्यम से भी बिहार की जनता को बधाई संदेश नहीं दिया. नीतीश कुमार की चुप्पी यह बताने के लिए काफी है कि वे इस जनादेश से काफी आहत हैं. यही वजह है कि उन्होंने अबतक जनता को धन्यवाद नहीं दिया.
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