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उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी का टूटना लगभग तय, महागठबंधन में जाने की तैयारी में कई नेता

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उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी का टूटना लगभग तय, महागठबंधन में जाने की तैयारी में कई नेता

सिटी पोस्ट लाइव : अब केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी का टूटना लगभग तय हो गया है.गौरतलब है कि उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी के जहानाबाद सांसद अरुण कुमार पहले ही अलग रास्ता अपना चुके हैं. अपनी पार्टी बना चुके हैं. अब खबर आ रही है कि आरजेडी के सुप्रीमो लालू यादव उपेन्द्र कुशवाहा से बातचीत करने की बजाय उनकी पार्टी के दूसरे कुशवाहा नेताओं के साथ लगातार संपर्क में बने हुए हैं. उपेन्द्र कुशवाहा से बातचीत करने की बजाय वो उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी के दमदार कुशवाहा नेताओं से एक एक कर बात कर रहे हैं.

गौरतलब है कि रविवार को उपेन्द्र कुशवाहा ने ये बयान दिया था कि विपक्ष की मांग पर नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की जरुरत नहीं है. उन्हें जनता ने पांच साल के लिए चुना है. उन्हें सत्ता में बने रहना चाहिए. गौरतलब है कि कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधने वाले उपेन्द्र कुशवाहा के सुर अब बदल गए हैं. वो अब नीतीश कुमार के खिलाफ बोलने से परहेज करने लगे हैं. सूत्रों के अनुसार उपेन्द्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी के नेताओं को भी बीजेपी और नीतीश कुमार के खिलाफ कोई बयान नहीं देने और आरजेडी के खिलाफ बयान देने का निर्देश दिया है. उपेन्द्र कुशवाहा के इस निर्देश के बाद उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नागमणि भी अब बीजेपी के खिलाफ कुछ भी बोलने से कतराने लगे हैं. लेकिन वो भी आरजेडी के खिलाफ बोलने को तैयार नहीं हैं.

रालोसपा नेताओं के अनुसार उपेन्द्र कुशवाहा के ढुलमुल रवैये से कार्यकर्त्ता बेहद नाराज हैं. उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि उनके नेता का स्टैंड क्या है. उपेन्द्र कुशवाहा द्वारा रविवार को नीतीश कुमार का बचाव किये जाने के बाद से रालोसपा में घमशान और तेज हो गया है.रालोसपा के कई वरीय नेता अगले दो तीन दिनों में पार्टी छोड़ने का एलान करने वाले हैं. गौरतलब है कि महागठबंधन में भी सीटों का बटवारा 20 -20 के फ़ॉर्मूला पर तय हो गया है. आरजेडी 27 की जगह इसबार 20 सीटों पर चुनाव लडेगी. एक एक सीट बाम  दलों को देगी. कांग्रेस को 10 सीटें दी जायेगी. सपा-बसपा को एक एक सीट देने की तैयारी है. शरद यादव को मधेपुरा से और तारिक अनवर को कटिहार से चुनाव लड़ाने का मन तेजस्वी यादव बना चुके हैं. जीतन राम मांझी को भी एक सीट से ज्यादा नहीं मिलेगा क्योंकि तेजस्वी यादव ने रालोसपा छोड़कर आनेवाले नेताओं के लिए 3 सीटें बचाकर रखी है. यानी रालोसपा में टूट के बाद ही महागठबंधन के बीच सीटों का बटवारा होगा.

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