राजद में पहले से सुलग रही थी पाटलीपुत्रा पर कलह? मीसा ने कहा था-‘पीठ पर खंजर बर्दाश्त नहीं होगा’
सिटी पोस्ट लाइवः क्या राजद और लालू परिवार के अंदर पाटलीपुत्रा लोकसभा सीट को लेकर कलह पहले से सुलग रही थी? दरअसल संकेतों को समझे तो समझना मुश्किल नहीं है कि यह आग नयी नहीं है बल्कि पुरानी चिंगारी हवा पाकर शोला बन गयी है। दरअसल लड़ाई को पूरा समझने के लिए थोड़ा फ्लैसबैक में जाना होगा। दरअसल अक्टूबर 2018 की कोई तारीख रही होगी जब मीसा भारती पाटलीपुत्रा लोकसभा क्षेत्र के मनेर में लोगों से बातचीत कर रही थी। वे जो कह गयी थी उसके आधे बयान को तो बड़ी आसानी से समझ लिया गया या फिर उसका मतलब निकाल लिया गया लेकिन उनकी आधी बात को काम के लायक नहीं समझा गया। लेकिन उनके जिस आधे बयान को तब नहीं समझा गया अब उसका मतलब समझ भी आ रहा है और उन बयानों में भविष्य की धुंधली हीं सही लेकिन एक तस्वीर जरूर नजर आ रही है। दरअसल मीसा भारती ने तब कहा था कि पांचों अंगुलिया बराबर नहीं होती, अब मेरे हीं घर में देख लीजिए हमारे यहां भी भाई-भाई के बीच मनमुटाव है। मीसा भारती के इस बयान को उनक कयासों पर मुहर माना गया जिसमें यह कहा जाता रहा था कि लालू परिवार में तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव के बीच सबकुछ ठीक नहीं है। हांलाकि बाद में मीसा भारती ने इस बयान पर सफाई भी दी थी लेकिन तबतक बयान अपना काम कर चुका था। खबरों की हेडलाइन मीसा का वो बयान था, और लालू परिवार में भाई-भाई के बीच मतभेद के कयासों को एक तरह से मीसा भारती के बयान ने पुख्ता खबर बना दिया था।
लेकिन उस वक्त मनेर में वो कुछ और बोल गयी थी जिसपर या तो किसी का ध्यान नहीं गया या उनके उस बयान को किसी काम के लायक नहीं समझा गया लेकिन आज हालात हैं उसमें वे बयान बड़े महत्वपूर्ण हो जाते हैं। दरअसल मीसा भारती ने तब यह भी कहा था कि अगर कोई सामने से लड़े तो वे झांसी की रानी बनकर उसका मुकाबला करेंगी लेकिन अगर कोई पीठ में खंजर भोंके तो उसे वे बर्दाश्त नहीं करेंगी, चाहे वो पार्टी का कोई कार्यकर्ता हीं क्यों न हो। तो क्या तब भी मीसा भारती को यह अंदेशा था कि उनकी पाटलीपुत्रा सीट पर भाई विरेन्द्र दावेदारी की तैयारी कर रहे हैं? भाई विरेन्द्र के गढ़ मनेर में जाकर मीसा भारती को तब यह बोलने की जरूरत क्यों पड़ी थी कि वे पीठ में खंजर भोंकने वाले को बर्दाश्त नहीं करेंगी। जाहिर पाटलीपुत्रा लोकसभा सीट पर घमासान की चिंगारी राजद और लालू परिवार के अंदरखाने पहले हीं सुलग चुकी थी, ताजा विवाद बस इसलिए है क्योंकि चिंगारी को हवा मिली और वो शोला बनी है। यह समझना भी मुश्किल नहीं है कि जिस तरह से तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव के बयान अलग-अलग होते हैं उसमें तेजप्रताप क्या चाहते हैं और तेजस्वी यादव क्या चाहते हैं? भाई विरेन्द्र को सीधे औकात बताने वाले तेजप्रताप यादव ने साफ कहा कि पाटलीपुत्रा सीट मीसा दीदी की है जबकि तेजस्वी यादव एक मंझे राजनेता की तरह एक कुटनीतिक जवाब दे गये कि राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव तय करेंगे की पाटलीपुत्रा लोकसभा सीट से कौन चुनाव लड़ेगा?
क्या इसका मतलब यह नहीं निकाला जाना चाहिए कि पाटलीपुत्रा सीट की उम्मीदवारी को लेकर तेजस्वी और तेजप्रताप की राय अलग-अलग है। क्या यह संकेत नहीं है कि पाटलीपुत्रा सीट के बहाने तेजप्रताप पार्टी पर अपनी पकड़ का संदेश देना चाहते हैं। चर्चा है कि भाई विरेन्द्र का पलड़ा इस बार भारी है और लालू-तेजस्वी दोनों पाटलीपुत्रा से भाई विरेन्द्र को मैदान में उतारना चाहते हैं। इसकी जो वजह बतायी जा रही है वो यही है कि पार्टी यानि राजद पहले हीं इस सीट पर चुनाव हारने के बाद उन्हें राज्यसभा भेज चुकी है . जाहिर है लालू परिवार की दृष्टि से देखें तो यह एक बहुत बड़ी बात है. इसके बाद तेजस्वी यादव ने भी अपने भाई से बात करने के बजाय तल्ख तेवर दिखाए और मीडिया में बयान दिया कि किसी के कहने से कुछ नहीं होता है. साफ है कि उनकी बात का यही मतलब था कि तेजप्रताप के बयान का कोई मतलब नहीं है. यानि उन्होंने साफ कहा कि पार्टी में लालू यादव के बाद अगर किसी की चलेगी तो उनकी चलेगी.
हालांकि इसके बाद तेजप्रताप ने भी यू टर्न लेते हुए ये कह दिया कि लालू जी जो करेंगे वही होगा. क्या वाकई राजद और लालू परिवार की आंतरिक परिस्थतियां अब भी वही हैं जहां लालू हीं सबकुछ तय करें, और जो लालू कहें उसे खामोशी के साथ मान लिया जाए। सवाल तो यह भी कि क्या पाटलीपुत्रा सीट पर लालू का जो फैसला होगा वो बिना किसी विवाद के मान लिया जाएगा? सवाल कई हैं और जवाब या तो संकेतो में मिल रहे हैं या फिर सवालों पर खामोशी है जाहिर है थोड़े इंतजार के बाद तस्वीर साफ हो पाएगी।
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