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मोदी कैबिनेट के विस्तार में JDU और LJP के नए खेमे को मिल सकती है जगह

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सिटी पोस्ट लाइव : मोदी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर NDA के बीच सुगबुगाहट तेज हो गई है.मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में पहलेबार JDU को जगह मिल सकती है.सूत्रों के अनुसार नए मंत्रिमंडल विस्तार में LJP के नए नेता पशुपति पारस को भी जगह मिल सकती है. गौरतलब है कि बिहार चुनाव के समय राजग से अलग होकर खिलाफ लड़ी लोजपा में विभाजन हो गया है. उसके नेता चिराग पासवान अलग-थलग पड़ गए हैं. पार्टी के छह लोकसभा सांसदों में से पांच सांसदों ने अपना अलग ग्रुप बना लिया है. सूत्रों के अनुसार इस ग्रुप को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है.

संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में अन्नाद्रमुक, अपना दल को भी जगह मिल सकती है. सूत्रों के अनुसार कई पुराने मंत्री बाहर हो सकते हैं और कई नए लोगों को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के दो साल पूरे हो चुके हैं. पहलीबार मंत्रिमंडल विस्तार होने जा रहा है. मोदी सरकार में राजग का प्रतिनिधित्व नाम मात्र का बचा है और सहयोगी दलों में मात्र रिपब्लिकन पार्टी के रामदास अठावले ही हैं. अठावले को भी राज्य मंत्री मिला हुआ है और कैबिनेट में पूरी तरह भाजपा का ही दबदबा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी सहित केंद्रीय मंत्रिपरिषद के अन्य सहयोगियों के साथ बैठक की. प्रधानमंत्री आवास पर हुई इस बैठक में भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा भी मौजूद थे.

सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री ने पिछले सप्ताह भी इस प्रकार की बैठकें की थीं. उन्होंने बताया कि इन बैठकों के जरिए प्रधानमंत्री विगम दो वर्षों में विभिन्न मंत्रालयों में हुए कामकाज का लेखा जोखा ले रहे हैं और कई मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं. संभावित विस्तार में भावी गणित को देखते हुए भाजपा अपने सहयोगी दलों को पहले से ज्यादा जगह दे सकती है. पूर्व में सरकार में शामिल होने से इंकार करता रहा जद यू अब इसमें हिस्सेदारी कर सकता है. इसके अलावा तमिलनाडु में सत्ता से बाहर होने के बाद अन्नाद्रमुक भी केंद्र में सरकार में शामिल होने की तैयारी में है. उत्तर प्रदेश के भावी चुनावों के समीकरणों को देखते हुए अपना दल को भी जगह दी जा सकती है.सूत्रों के अनुसार संभावित विस्तार में मौजूदा केंद्रीय मंत्रियों में से आधा दर्जन मंत्रियों का बोझ कम किया जा सकता है. इन मंत्रियों के पास दो से तीन मंत्रालयों का कामकाज है. विस्तार और फेरबदल में लगभग डेढ़ दर्जन नए मंत्रियों को शामिल किए जाने की संभावना है.

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