तेजस्वी यादव के सामने है राहुल गांधी और मायावती को एकसाथ साधने की चुनौती
सिटी पोस्ट लाइव : बहुजन समाज पार्टी (BSP ) के सुप्रीमो मायावती ने जिस तरह से राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका दिया है, उससे आरजेडी भी सकते में है. बुधवार को मायावती ने कांग्रेस पर आरोपों की झड़ी लगाते हुए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को बीजेपी का एजेंट तक बता डाला. संयोग से दिग्विजय सिंह उस दिन पटना में ही थे और तेजस्वी से मुलाकात भी की थी.
तेजस्वी ने मायावती के बयान पर चुप्पी साध ली है.गौरतलब है कि आरजेडी के नेता लालू यादव और तेजस्वी यादव हमेशा इस बात के हिमायती रहे कि अगर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) एक साथ महागठबंधन का हिस्सा बन जाएं तो यूपी और बिहार मिलकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का विजयी रथ रोक सकते हैं..
विपक्षी एकता की कोशिश कर रहे तेजस्वी बिहार में सीट शेयरिंग को लेकर किसी भी सीमा तक बलिदान देने को तैयार हैं, पर मायावती के स्टैंड ने सबकुछ गड़बड़ कर दिया है. हालांकि बिहार में बसपा का कोई विधायक या सांसद नहीं है, लेकिन यूपी से सटे रोहतास, बक्सर, पश्चिम चंपारण और कैमूर में पार्टी कई बार निर्णायक भूमिका में दिखाई देती है. जब दिल्ली जाने से पहले तेजस्वी से ये पूछा गया कि महागठबंधन से मायावती ने दूरी बना ली है तो उन्होंने कहा, समय आने दीजिए, समय पर पता चल जाएगा.
मायावती के मूड को भांपने से पहले तेजस्वी कुछ नहीं कहना चाहते. एक कारण ये भी है कि बिहार में कांग्रेस के साथ आरजेडी की सियासी साझीदारी लंबे अरसे से है और तेजस्वी अपने किसी बयान से राहुल के साथ बनी केमिस्ट्री नहीं बिगाड़ना चाहेंगे.तेजस्वी धर्मसंकट में हैं मायावती को लेकर .एकसाथ उनके सामने कांग्रेस और मायावती दोनों को साधने की चुनौती है.
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