सिटी पोस्ट लाइव :उपेन्द्र कुशवाहा की वजह से तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनने के लिए लम्बा इंतज़ार करना पड़ सकता है.गौरतलब है कि नीतीश कुमार द्वारा तेजस्वी यादव को अपना राजनीतिक उतराधिकारी घोषित किये जाने को लेकर ही उपेन्द्र कुशवाहा ने पार्टी छोड़ी है.उपेन्द्र कुशवाहा के JDU से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने का भविष्य में JDU पर क्या असर होगा, पता नहीं लेकिन फिरहाल JDU का स्टैंड जरुर बदल गया है.पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि 20 25 का चुनाव महागठबंधन किसके नेत्रित्व में लडेगा अभी तय नहीं हुआ है.JDU नेता केसी त्यागी ने तो यहाँ तक कह दिया कि 20 25 क्या 20 30 के विधान सभा चुनाव का नेत्रित्व करने में भी नीतीश कुमार सक्षम हैं.
JDU नेताओं के इस बयान से RJD समर्थकों की बेचैनी बढ़ सकती है .गौरतलब है कि नीतीश कुमार के महागठबंधन में आने के साथ ही RJD के बड़े नेताओं ने नीतीश कुमार से राष्ट्रिय राजनीति करने और मुख्यमंत्री की कुर्सी तेजस्वी यादव को सौंप देने की मांग शुरू कर दी थी.RJD नेता ये उम्मीद लगाए हुए हैं कि नीतीश कुमार के प्रधानमंत्री के उम्मीदवार बनने के साथ ही मुख्यमंत्री की कुर्सी तेजस्वी यादव को मिल जायेगी.हालांकि नीतीश कुमार तेजस्वी यादव के नेत्रित्व में 20 25 का चुनाव लड़ने का बयान देकर ये संकेत दे चुके हैं कि उससे पहले वो मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं छोड़ने वाले.
नीतीश कुमार के पीएम पद की दावेदारी आसान नहीं है.केसीआर खुद को पीएम पद का दावेदार बता रहे हैं.वो विपक्ष के नेताओं की रैली भी कर चुके हैं.उन्होंने उस रैली में नीतीश कुमार को आमंत्रित ही नहीं किया.कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी को पीएम पद का दावेदार मान रही है.ऐसे में नीतीश कुमार कैसे विपक्ष का चेहरा बन पायेगें, अभी भविष्यवाणी करना मुश्किल है.यहीं वजह है कि नीतीश कुमार बारबार ये कह रहे हैं कि वो पीएम पद के दावेदार नहीं हैं.दूसरी तरफ वो कांग्रेस से अपना स्टैंड जल्द से जल्द क्लियर करने की अपील भी कर रहे हैं.एक बात तो तय है कि राष्ट्रिय राजनीति में अपनी जगह तय होने के पहले नीतीश कुमार मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं छोड़नेवाले.
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