सिटी पोस्ट लाइव :इसबार लालू यादव के बड़े बेटे तेजस्वी यादव के साथ आरपार के मूड में हैं.उन्हें समझाने के लिए दिल्ली से पटना राबडी देवी आई लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा.दोनों भाइयों के बीच सुलह कराने की उनकी सारी कोशिश बेकार चली गई. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अंकुश और परिवार के बंधन को तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) मानने के लिए तैयार नहीं हैं.अब लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) का इंतजार है. वे 20 अक्टूबर को आने वाले हैं. उम्मीद है कि उनके पटना आने के बाद ही कोई रास्ता निकल पायेगा.
लालू यादव ने जनता दल से अलग होकर करीब 24 वर्ष पहले 1997 में बनाई थी.अपनी पार्टी आरजेडी को बचाने के लिए योग्य उत्तराधिकारी की तलाश में उन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के पहले छोटे पुत्र तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को आगे किया. लालू यादव के इस फैसले के साथ ही दोनों भाइयों के बीच घमाशान शुरू हो गया.किसी तरह से चार-पांच वर्ष तेजप्रताप चुप रहे, लेकिन अब खुद को दूसरा लालू (Second Lalu) बताकर विरासत पर कब्जे की कोशिश में हैं.
लालू को अहसास था कि 11 अक्टूबर को जेपी जयंती (JP Jayanti) के मौके पर जनशक्ति मार्च (Jan Shakti March) के दौरान तेज प्रताप पार्टी और परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं. उन्होंने आनन-फानन में जनशक्ति मार्च से महज कुछ घंटे पहले राबड़ी देवी को पटना भेजा, ताकि वे समझा-बुझाकर बेटे को रास्ते पर ला सकें. राबड़ी पटना हवाई अड्डे से सीधे तेज प्रताप के सरकारी आवास पर पहुंची, लेकिन उनके आने की भनक तेज प्रताप को पहले ही लग गई थी. लिहाजा उन्होंने पहले ही घर छोड़ दिया था. ऐसे में मां-बेटे की मुलाकात नहीं हो सकी और लालू का यह प्लान फेल कर गया.
वैसे भी जब भी तेजप्रताप बगावत करते हैं, उन्हें लालू यादव ही मना पाते हैं.लालू यादव को छोड़कर वो किसी दुसरे की नहीं सुनते.11 अक्टूबर को जेपी जयंती (JP Jayanti) के मौके पर जनशक्ति मार्च (Jan Shakti March) के दौरान उन्होंने कहा भी है कि आरजेडी प्रमुख के पटना आने पर वे सबकी पोल खोलेंगे. सबके बारे में बताएंगे कि पार्टी और परिवार के लिए कौन-कितना घातक है. ऐसे में लालू प्रसाद यादव का इंतजार पार्टी के नेता बेसब्री से कर रहे हैं.लेकिन तेजप्रताप के करीबी लोगों के अनुसार इसबार तेजप्रताप को मनाना लालू यादव के लिए भी आसान नहीं होगा.तेजप्रताप इसबार आरपार के मूड में हैं.
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