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दागी व दोषी अधिकारियों को प्राप्त है सीएम का संरक्षण : मरांडी

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दागी व दोषी अधिकारियों को प्राप्त है सीएम का संरक्षण : मरांडी

सिटी पोस्ट लाइव, रांची : झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा कि किसी भी राज्य में दोषी व दागी अधिकारियों को दंडित करना राज्य सरकार की प्राथमिकता में होनी चाहिए। परंतु ऐसा प्रतीत होता है कि झारखंड में दोषियों को सरकार का खुला संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने कहा कि झारखंड में डीजीपी, एडीजी व तत्कालीन मुख्य सचिव राजबाला प्रकरण, राज्य के तीन शीर्ष अधिकारियों से जुड़ा मामला है। तीनों मामले में कई अहम जानकारी होने के बावजूद सरकार ने अपनी ओर से कोई कार्रवाई करना मुनासिब नहीं समझा और उल्टा इनके बचाव में हर मुमकिन कोशिश की। उन्होंने कहा कि जब हाईकोर्ट, सीबीआई या चुनाव आयोग का डंडा चला तब भी सरकार ने कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति करने का काम किया। चार साल के कार्यकाल में सरकार ने अपने स्तर से एक भी अफसर पर कार्रवाई नहीं की। अगर किसी पर कार्रवाई हुई भी तो वह दुर्भावना से ग्रसित होकर। उन्होंने कहा कि ताजा मामला बकोरिया कांड का है। जिसमें राज्य के पुलिस का चेहरा कोर्ट ने बेनकाब किया है। डीजीपी सवालों के घेरे में हैं। मुख्यमंत्री रघुवर दास के पास गृह मंत्रालय है। अहम सवाल है कि जांच में तेजी लाने वाले एमवी राव ने डीजीपी पर जब जांच धीमा करने का दबाव बनाने का सार्वजनिक आरोप लगाया, तब सीएम ने क्या कार्रवाई की। सरकार द्वारा अदालत में जो भी एफिडेविट दायर किया गया है जाहिर है सभी गृह विभाग से होकर ही गुजरा होगा। इससे स्पष्ट है कि गृह मंत्री के बगैर सहमति से ऐसा नहीं हुआ होगा। राव ने एक जनवरी, 2018 को तबादले के बाद जब लिखित रूप से सीएम के प्रधान सचिव, गृह मंत्रालय के सचिव सहित अन्य विभाग को सारी बातों का खुलासा किया तब रघुवर ने क्या कार्रवाई की। किसी मामले की जांच में अवरोध पैदा करना व जानकारी के बावजूद कार्रवाई नहीं करना भी अपराध की श्रेणी में आता है। बिहार के पूर्व सीएम को इसी आधार पर सजा हुई है। झारखंड के सीएम अपना दामन बचा नहीं सकते हैं। जैसे-जैसे सीबीआई जांच आगे बढ़ेगी, इनकी गिरेबांन भी फंसेगी। इसी प्रकार इस मामले व रास चुनाव को प्रभावित करने, विधायक को धमकाने के आरोप में स्पेशल ब्रांच के एडीजी अनुराग गुप्ता पर भी सीएम ने तब कार्रवाई की, जब चुनाव आयोग का डंडा चला। अभी भी वे अपने पद पर बने हुए हैं। वहीं तत्कालीन सीएस राजबाला वर्मा प्रक्ररण में राज्य सरकार की मेहरबानी किसी से छिपी नहीं है। चारा घोटाले में सीबीआई द्वारा राजबाला को जिम्मेवार ठहराने के बावजूद सरकार उसे बचाने में लगी रही। इसके अलावा राजबाला पर एक बैंक के अधिकारी पर अपने बेटे की कंपनी में निवेश का दबाव बनाने व कोयला खदान आवंटन में दोषी एक अधिकारी को बचाने का गंभीर आरोप था। इसके लिए सरयू राय को संसदीय कार्यमंत्री का पद तक छोड़ना पड़ा, पीएमओ ने संज्ञान भी लिया, परंतु सरकार ने रिटायरमेंट के एक दिन पहले केवल चेतावनी देकर छोड़कर दिया। अब इस सरकार से भला कोई क्या उम्मीद करे, जो खुद दोषी अधिकारियों का संरक्षण देती रही हो। सीएम में अगर थोड़ी भी नैतिकता बची हो तो पहले डीजीपी, एडीजी को बर्खास्त करें और फिर खुद इस्तीफा देकर एक नजीर पेश करें। अन्यथा जनता सब देख रही है, 2019 में सब गुरूर तोड़ देगी।

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