श्याम रजक ने दलितों की उपेक्षा का आरोप बीजेपी पर लगाकर एंडीए नेताओं को बैक फुट पर ला दिया है
दलितों की अनदेखी करने पर गंभीर नतीजा आगामी चुनाव में भुगतने की चेतावनी दी
सभी राज्यों के उपचुनावों में जो जनादेश आया है ,वह बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है
सिटी पोस्ट लाईव: एक तरफ बीजेपी और जेडीयू के नेता राघोपुर में यादवों द्वारा दलितों के घर जलाए जाने को लेकर आरजेडी नेता तेजस्वी को घेरने में जुटे हैं.वहीं जेडीयू के दलित नेता श्याम रजक ने दलितों की उपेक्षा का आरोप बीजेपी पर लगाकर एंडीए नेताओं को बैक फुट पर ला दिया है.जेडीयू ने सीधे-सीधे बीजेपी पर हमला बोलना शुरू कर दिया है. बिहार सरकार के पूर्व मंत्री जेडीयू के विधायक श्याम रजक ने दलितों की अनदेखी करने पर गंभीर नतीजा आगामी चुनाव में भुगतने की चेतावनी दी है.उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को दलितों के लंबित मांगों को जल्द पूरा नहीं करती है तो साल 2019 के लोकसभा चुनावों में भी उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ेगा.
दलितों को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके श्याम रजक ने कहा कि सभी राज्यों के उपचुनावों में जो जनादेश आया है ,वह बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है.उन्होंने कहा कि दलितों की केंद्र सरकार से जो अपेक्षाएं थी, उन अपेक्षाओं की पूर्ति नहीं हो सकी है. इसका साफ असर उपचुनाव के परिणामों में देखने को मिला है.
श्याम रजक ने कहा कि दलितों के आराध्य बाबासाहेब अंबेडकर को याद तो किया गया. लेकिन दलितों के अंदर स्वावलंबन, शिक्षा की ज्योति और उन्हें आर्थिक रूप से संबल बनाने के उनके मूल संकल्पों और विचारों पर अमल नहीं किया गया. साथ ही दलितों की हत्या, अत्याचार, अनाचार के मामले बढे हैं.आज दलित अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं.
रजक ने कहा कि चाहे गुजरात के उना और राजकोट का मामला हो, चाहे वह रोहित वेमुला का मामला हो या उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में दलितों के दमन का मामला हो. इन घटनाओं से यह ज़ाहिर है कि दलितों को लगातार प्रताड़ित किये जाने की घटनाएं बढ़ रही हैं..
श्याम रजक ने बीजेपी के बाबा साहेब अम्बेडकर प्रेम पर चुटकी लेते हुए कहा कि तरह एक तरफ बाबासाहेब का गुणगान करना और दूसरी तरफ उनके विचारों/उपदेशों को लागू ना करना, दलितों की समझ के बाहर है.उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार दलितों के लंबित मांगों को जल्द से जल्द पूरा करके ही बाबा साहेब को सही श्रद्धांजलि दे सकती है.श्याम रजक ने अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार अधिनियम कानून 1989 को संविधान के नौवीं अनुसूची में शामिल करने , प्रोन्नति में आरक्षण, न्यायिक सेवा में आरक्षण, निज़ी क्षेत्रों में आरक्षण, देने के साथ साथ नौकरियों के बैकलॉग को पूरा करने मांग करते हुए कहा कि भूमिहीन दलितों को 10 डिसमिल जमीन मुफ्त में मुहैया करवाई जानी चाहिए.
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