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अपनी अतिचतुराई ,अहंकार में फंसे नीतीश की अंतिम गति होगी बहुत दिलचस्प 

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शिवानन्द तिवारी ने कहा-“अपनी अतिचतुराई और गजब के अहंकार में नीतीश इसबार ऐसे बुरे फंसे हैं  कि उनका निकलना मुश्किल. उनकी अंतिम क्या गति होती है ,देखना होगा बहुत दिलचस्प 

सिटी पोस्ट लाईव :राजनीति एक किला है.इस किले में जो एकबार फंस जाता है ,उसका बाहर निकलना मुश्किल होता.जो इस किले में फंसने की बजाय इसकी घेराबंदी करना जानना है,वहीँ बाजी मारता है.इसबार बीजेपी के साथ जाने के बाद अपनी पहले वाली राजनीतिक वजूद बचाए रखने के लिए संघर्षरत बिहार के मुख्यमंत्री को चौतरफा हमला झेलना पड़ रहा है.आरजेडी नेता लगातार उनके ऊपर हमले कर रहे हैं.

आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि नीतीश कुमार इस किले में फंस चुके हैं.इसबार मोदी के किले में फंसे कुमार के पास बहुत विकल्प नहीं है.बीजेपी भी एक सीमा के बाद उनको झेल नहीं पाएगी. 20 09 वाली स्थिति अब नीतीश कुमार की नहीं है.गंगा से पानी बहुत निकल चुका है. नीतीश जी ने अपनी जो नैतिक आभा बनाई थी, वही उनका बल था. वही उनकी पूंजी थी. एक छोटी पार्टी के नेता होने के बावजूद उनकी जो राष्ट्रीय छवि बनी थी उसके पीछे उनकी वही नैतिक आभा थी.लेकिन नरेन्द्र मोदी की गोद में बैठकर उन्होंने वह आभा खो दी है.

शिवानन्द तिवारी ने कहा कि  सम्प्रदायिकता और सामाजिक न्याय नीतीश कुमार की राजनीति की मूलधारा रही है. इसलिए सम्प्रदायिकता को मुद्दा बनकर जब वे अपने पुराने गठबंधन से बाहर आए तो तत्काल लोगों ने उन्हें नरेंद्र मोदी के विकल्प के रूप में देखना शुरू कर दिया था. भ्रष्टाचार कभी नीतीश कुमार के लिए प्राथमिक मुद्दा नहीं रहा है. पंडित जगन्नाथ मिश्र जी को अपनी पार्टी में आदरणीय स्थान उन्होंने दिया था. लालू जी को चारा घोटाला में सज़ा मिल चुकी है. यह जानते हुए भी उन्होंने उनके साथ गठबंधन बनाया था.महागठबंधन छोड़ कर फिर नरेंद्र मोदी की गोदी में बैठने के बाद नीतीश जी ने अपनी वह नैतिक चमक खो दी है.

शिवानन्द तिवारी ने कहा कि नीतीश कुमार कभी भी लालू यादव जैसे  जनाधार वाले नेता नहीं थे.केवल  जोड़-घटाव के ज़रिए वो सत्ता में बने रहे .लेकिन अब लगातार दो उप-चुनावों के हार जाने से यह बात साफ़ हो गई है कि नीतीश कुमार ने जो आभा बनाई थी,वह ख़त्म हो चुकी है.अब सच्चाई से उनका सामना होना है.नीतीश जी कहीं मनमाफिक  सौदा नहीं कर पाएंगे.महागठबंधन पुन: उनके लिए एक विकल्प हो सकता है .लेकिन फिर्हाल इसकी गुंजाइश भी मुझे नहीं दिखाई दे रही है. तिवारी ने कहा कि लालू औघड़ स्वभाव के हैं माँ कर सकते थे लेकिन अब तो नेत्रित्व तेजस्वी के हाथ में है,गुंजाईश कम है.लालू स्वभाव से औघड़ हैं. मनावन करने के बाद वे शायद मान भी लें. लेकिन राजद का नेता अब तेजस्वी है. नीतीश की वजह से जो उसको झेलना पड़ा है, वह भूलकर पुन: उनके साथ काम करेगा, इसका रंचमात्र यकीन मुझे नहीं है

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