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किसानों के लिए खड़े हैं पप्पू यादव, जबकि मीडिया को बता रहे बोटी चाटने वाला

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सिटी पोस्ट लाइव : गणतंत्र दिवस के दिन किसानों का हिंसक रूप पूरी दुनिया ने देखा और आलोचना भी की. कुछ ने इसे अनैतिक कहा तो किसी ने उन्हें दंगाई कहा. किसानों के नाम पर जिस तरह से दिल्ली में उत्पात मचाया गया, लाल किले पर हमला किया गया, भारत के झंडे का अपमान किया गया. उसे देखकर कोई नहीं कहेगा कि ये किसान हैं. लेकिन बिहार के नेता पप्पू यादव कह रहे कि वे किसान अपने हक के लिए लड़ रहे हैं. उन्होंने जो किया सही है. इतना ही नहीं उपद्रवी किसानों की आलोचना भी उन्हें खटक गई और मीडिया को ही कटघड़े में खड़ा कर दिया. मीडिया को न सिर्फ बोटी चाटने वाला बताया बल्कि बेहूदी बेशर्म मीडिया भी कहा.

बता दें जाप प्रमुख और पूर्व सांसद पप्पू यादव की भी पार्टी गणतंत्र दिवस के दिन किसानों के ट्रैक्टर रैली का समर्थन किया था. बिहार के कई जिलों में उनकी पार्टी ने रैली निकाल इसे सफल बनाने की कोशिश की. लेकिन दिल्ली में किसानों ने इस रैली के नाम पर जमकर उत्पात मचाया. जिसपर दिल्ली पुलिस ने हिंसा, तोड़फोड़ और नियम तोड़ने की घटनाओं में 22 FIR दर्ज की हैं. इनमें जानलेवा हमले, डकैती, सरकारी काम में रुकावट डालने और नियम तोड़ने जैसी धाराएं लगाई गई हैं. इनमें से एक FIR में 37 किसान नेताओं को आरोपी बनाया गया है.

वहीं अब पप्पू यादव ने किसानों के समर्थन में ट्वीट कर मीडिया पर भड़ास निकली है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि 150 से अधिक किसान दो महीने के आंदोलन में शहीद हो गए। मीडिया के मुंह में बोटी थी। वह चाटने में चुप थी। किसानों ने अपना इकबाल दिखाया। हुक्मरानों की चूलें हिलाई। मीडिया अपने मुंह से बोटी की टोटी निकाल किसानों पर पिल पड़ी। हुक्मरानों के लिए किसानों से लड़ने वाली बेहूदी बेशर्म मीडिया!

गौरतलब है कि किसानों द्वारा लाल किले पर हमला और दिल्ली में रैली के नाम पर उपद्रव कही से भी सही नहीं है. पुलिस का कहना है कि ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा में 300 जवान घायल हुए हैं. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस से आंसू गैस के गोले दागने वाली गन छीन ली. नॉर्थ दिल्ली के कार्यवाहक DCP संदीप ने बताया कि भीड़ अचानक लाल किले पर पहुंच गई. उसमें शामिल प्रदर्शनकारियों ने शराब पी रखी थी. हम पर तलवारों और दूसरे हथियारों से हमला किया गया. झड़प में घायल वजीराबाद के SHO पीसी यादव ने बताया कि हमने भीड़ को प्राचीर से हटाने की कोशिश की, लेकिन वो हिंसक हो गए. हम ताकत का इस्तेमाल नहीं करना चाहते थे, इसलिए जितना हो सका, संयम रखा.

बड़ी बात ये है कि यदि किसानों ने सही किया तो फिर पीछे क्यों हट रही है. उपद्रव के एक दिन बाद बुधवार सुबह से ही दिल्ली पुलिस सक्रिय हो गई. शाम होते-होते 37 किसान नेताओं पर FIR दर्ज कर ली गई. इसके साथ ही 200 लोगों को हिरासत में ले लिया गया. इन पर हिंसा करने और लोगों को भड़काने के आरोप हैं. इसके बाद राष्ट्रीय मजदूर किसान संगठन और भारतीय किसान यूनियन (भानु) ने खुद को आंदोलन से अलग करने की घोषणा कर दी. वहीं दो महीनें से दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसानों के तादात में भी कमी आई है. जाहिर है कि आन्दोलन के नाम पर जो उपद्रवी आए थे वो किसान नहीं थे. लेकिन राजनीति में सब चलता है.

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