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नीतीश के मास्टर स्ट्रोक से धराशायी विपक्ष, मांझी ने कहा- अब कैसे करेगें नीतीश का विरोध?

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नीतीश के मास्टरस्ट्रोक से धराशायी विपक्ष, मांझी ने कहा- अब कैसे करेगें नीतीश का विरोध?

सिटी पोस्ट लाइव : चुनावी साल में बिहार की सियासत के माहिर खिलाड़ी माने जाने वाले नीतीश को हरा पाना विपक्ष के लिए आसान नहीं होगा.कलतक भले बीजेपी के साथ रहना नीतीश कुमार की मज़बूरी थी लेकिन आज की तारीख में बीजेपी की मज़बूरी नीतीश कुमार के साथ आने रहने की है. दरअसल, विधान सभा में NRC और NPR के विरोध में नीतीश कुमार ने प्रस्ताव पारित करवा कर ये जाता दिया है कि वो बीजेपी के साथ अपनी शर्तों पर ही रहेगें.गौरतलब है कि CAA, NRC और NPR को लेकर विपक्ष पिछले कुछ दिनों नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को लगातार टारगेट कर रहा था, नीतीश ने उन सभी हमलों की धार को मंगलवार को विधानसभा सत्र के दूसरे दिन अपने मास्टरस्ट्रोक (Masterstroke) से एक दिन में ही कुंद कर दिया.

नीतीश ने सदन में एक तरफ NRC और NPR के खिलाफ प्रस्ताव पारित करवा मोदी की हर बात मानने के लिए बाध्य नहीं होने का तो दूसरी तरफ नागरिकता संशोधन का खुलकर समर्थन कर बीजेपी के साथ बने रहने का संदेश भी दे दिया है.यानी एक तीर से बीजेपी और विपक्ष दोनों को साध लिया. उन्होंने कहा कि  सीएए का प्रस्ताव 2003 में आया था. 2003 में CAA को लेकर बनी स्टैंडिंग कमिटी में लालू प्रसाद भी थे. तब कांग्रेस के लोगों ने इसका समर्थन किया था.

विपक्ष के नेता जीतन राम मांझी भी मानते हैं कि विपक्ष की ओर से उछाले जा रहे NPR के मुद्दे की भी नीतीश कुमार ने हवा निकाल दी है और बीजेपी को भी औकात बता दी है.मांझी ने कहा कि NPR की वजह से होनेवाली परेशानी से नीतीश कुमार ने न केवल अल्पसंख्यकों को बल्कि दलितों-अति-पिछड़ों को भी बचा लिया है.जिस मामले को लेकर पूरा विपक्ष कलतक नीतीश कुमार पर हमलावर था, आज उन्हें धन्यवाद देते नहीं थक रहा.

दरअसल,नीतीश कुमार ने मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ जाते हुए भी बीजेपी को साथ बने रहने की रणनीति के तहत काम किया है.नीतीश ने NPR को लेकर केंद्र सरकार को लिखी गई चिट्ठी का जिक्र करते हुए ये भी बता दिया कि जिस राजस्व विभाग से चिट्ठी भेजी गई, उसके मंत्री बीजेपी के ही विधायक हैं.नीतीश ने सदन से NPR और NRC पर सदन से सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कराकर एक तीर से दो निशाना साधा. न सिर्फ विपक्ष को चित कर दिया, बल्कि बीजेपी नेताओं को भी साथ ले लिया. मजबूरी ही सही, प्रस्ताव का साथ देने के बाद बीजेपी नेताओं को अब NRC और NPR पर अलग लाइन लेने का मौका नहीं मिलेगा.

नीतीश ने न सिर्फ CAA, NRC, NPR जैसे मुद्दों की हवा निकाल दी, बल्कि जातीय जनगणना की मांग कर सियासी बाजी मार ली.CAA को CM नीतीश का ‘खुल्लमखुल्ला’ समर्थन देकर बीजेपी के साथ दोस्ती की मजबूती पर मुहर लगा दी. NPR और NRC पर नीतीश ने अपनी शर्तों पर चलने का फैसला किया, और बीजेपी को उनका साथ देना पड़ा. केंद्र के फैसले से उलट बिहार में NPR, 2010 के फार्मेट में लागू किये जाने के फैसले पर बीजेपी का समर्थन हाशिल कर लिया.नीतीश कुमार ने मुस्लिमों को भी ये संदेश दे दिया कि बीजेपी के साथ रहकर भी उनकी हितों का ध्यान रखने में वो सक्षम हैं.जाहिर है NRC लागू नहीं करने और NPR पर प्रस्ताव पारित कर चुनावी साल में विपक्ष को नीतीश कुमार ने मुद्दाविहीन कर दिया है .मांझी कहते हैं-“ अब नीतीश कुमार का किस आधार पर हम विरोध कर पायेगें?

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